The President of India and his work-

 President of India 1

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राष्ट्रपति कैसे बनते है ?

देश का संविधान बनने के साथ- साथ यह तय हुआ कि देश को प्रधानमंत्री के साथ-साथ राष्ट्रपति भी मिलना चाहिए। देश के 1st President of India डॉ राजेन्द्र प्रसाद बने और देश की पहली महिला द्रौपदी मुर्मू,श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल बनी इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ,दूसरी महिला President of India बनने का गौरव प्राप्त की ।

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के लिए क्या योग्यताएं चाहिए ? राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ? राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है ? कौन -कौन वोट दे सकता है ?आज हम इस पोस्ट में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है के बारे में जानेंगे।

राष्ट्रपति कौन होता है?

भारतीय संविधान के आर्टिकल 52 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति होना अनिवार्य है।देश का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का होता है और राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक होते हैं। देश के सभी सेनाओं (नौसेना, वायुसेना, थलसेना) के प्रमुख राष्ट्रपति होते हैं। संघ की कार्यपालिका की शक्ति (Executive power) राष्ट्रपति में निहित है। वे केन्द्रीय मंत्रिमंडल के जरिए अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

President of India बनने के लिए क्या योग्यताए होनी चाहिए?

भारत का नागरिक होना चाहिए।
न्यूनतम आयु 35 वर्ष होने चाहिए।
लोकसभा सदस्य बनने की योग्यता हो।
केन्द्र सरकार और राज्य सरकार या अन्य किसी प्राधिकरण के अन्तर्गत लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
जो भी उम्मीदवार ये शर्तें पूरी करता है वो नामांकन दाखिल कर सकता है लेकिन इसके लिए उसे 50 विधायकों या सांसदों का समर्थन और 50 सांसदों या विधायकों का अनुमोदन भी जरूरी होता है और जमानत राशि के तौर पर उम्मीदवार को 15,000 रुपए की रकम जमा करानी होती है ।

President of India का कार्यकाल कितना होता है?

राष्ट्रपति अपना पद धारण करने की तिथि से 5 वर्ष तक अपने पद पर बना रहता है यानि इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। हालांकि किसी भी समय अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देकर पदमुक्त हो सकते हैं।
इसके अलावा कार्यकाल पूरा होने के पहले संसद द्वारा महाभियोग चलाकर भी राष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है।
5 वर्ष पूरा होने के बाद भी President of India तब तक अपने पद पर बना रह सकता है जब तक कि उनका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण ना कर लें।

President of India का चुनाव कैसे होता है?

राष्ट्रपति का चुनाव चुनाव आयोग के द्वारा ही किया जाता है। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए भारत की जनगणना जो 1971 में हुई उसके आधार पर जनसंख्या को शामिल किया जाता है।और 2026 तक इसी जनगणना के आधार को लिया जाएगा। इस पद के चुनाव के लिए जो फार्मूला बनाया गया है यह भी एक खास फार्मूला है ताकि बिना किसी गड़बड़ी और पक्षपात के बिना यह चुनाव प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से की जा सके।
इस चुनाव प्रक्रिया के तीन मुख्य चरण है। कुल विधायकों की वोट वैल्यू के अनुसार लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोट की वैल्यू निकाली जाती है।और इन सारे प्रक्रिया के माध्यम से ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के वोट की वैल्यू निकाली जाती है ।

राज्यों के विधायकों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए 1971 की जनगणना का आधार लिया जाता है। इसके लिए राज्य की जनसंख्या को Number Of MLA की संख्या से भाग दिया जाता है।और जो हमें रिजल्ट प्राप्त होता है उसे फिर दुबारा 1000 से भाग किया जाता है। इस प्रकार एक MLA की वोट की वैल्यू निकलती है।
Value of an MLA vote =Total population of the state or union territory/ Total Number Of elected members of the legislative assembly × 1000

एक राज्य की वोट की वैल्यू निकालने के लिए एक MLA के वोट की वैल्यू को Number Of MLAS से गुणा किया जाता है।और इसी तरह से प्रत्येक राज्य से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के वोट की वैल्यू निकाली जाती है ।

उदाहरण के माध्यम से समझते हैं –

उत्तर प्रदेश में सन् 1971 की जनगणना के अनुसार 83,849,775 में जनसंख्या है।और राज्य में निर्वाचित विधायकों की संख्या 403 है।इस फार्मूले के अनुसार जनसंख्या को no. Of MLA से भाग किया जाता है। और जो वैल्यू प्राप्त होती है उसे फिर दुबारा 1000 से भाग कर दिया जाता है। इससे राज्य के प्रत्येक MLA की वोट की वैल्यू प्राप्त होती है। अब पूरे राज्य की वैल्यू निकालने के लिए MLA की वोट की वैल्यू को Numbers Of MLA से गुणा किया जाता है।
No. of Assembly seats =403
Population of as per 1971 census= 83,849,775
Value of the vote of each MLA=83,849,775/403×1000=208.06
Total value of vote of all the state MLAs =403×208
=83,824
सांसदों के वोट की वैल्यू निकालने के लिए लोकसभा के सदस्य और राज्य सभा के सदस्य को जोड़ लिया जाता है। राज्यों के वोट की कुल वैल्यू को कुल सांसदों से भाग किया जाता है जिससे एक सांसद की वोट की वैल्यू निकल आती है।और सांसद के वोट की वैल्यू को सांसदो की कुल संख्या से गुणा किया जाता है तो टोटल सांसदों के वोट की वैल्यू आती है।

Total value of votes of all MLAs =5,49,495
Total number of MPs =543(LS)+233(RS)=776
Value of the vote of each MP =5,49,495/776=708
Total value of votes of all the MPs =776 ×708 =5,49,408

अब राष्ट्रपति पद के कुल वोट निकालने के लिए सांसदों के वोट की वैल्यू तथा MLA की वोट का वैल्यू को जोड़ दिया जाता है।
Total Number of votes =vote value of MP +vote value of MLA

यदि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार व्यक्ति के सामने कोई दूसरा व्यक्ति खड़ा ना हो तो उस व्यक्ति को राष्ट्रपति पद के लिए चुन लिया जाता है। राष्ट्रपति पद के किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 50% वोट लेना अनिवार्य है।और इसके अलावा एक अतिरिक्त वोट और होना चाहिए।

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President चुनाव में कौन -कौन वोट दे सकता है ?

देश में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है यानी इसमें देश की जनता वोट नहीं कर सकती है। इसमें निर्वाचित राज्य सभा सांसद , लोकसभा सांसद और विधायक ही वोट दे सकते हैं। इस चुनाव के लिए जो सांसद और विधायक वोट डालते हैं उन्हें इलेक्टराल कालेज या निर्वाचन मंडल कहा जाता है और हर एक वोटर को इलेक्टर कहा जाता है।

राष्ट्रपति चुनाव में कुल 4809 सदस्य हिस्सा लेते हैं। जिसमें से 776 सदस्य संसद से होते हैं जिसमें लोकसभा से 543 सदस्य और राज्य सभा से 233 सदस्य होते हैं। जबकि विधान सभाओं से कुल 4033 सदस्य आते हैं ।2019 से पहले यह संख्या 4120 के करीब था। लेकिन 2019 में जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया गया था और जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग -अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।

जिसके कारण यहां की कुल जो विधान सभा सीटें 87 थीं वो समाप्त हो गयी और वर्तमान में कुल 4033 सीटें हैं।
चुनावी प्रक्रिया में राज्य सभा और विधान परिषद में नामित सदस्य और विधान पार्षद भी शामिल नहीं होते हैं । अगर किसी राज्य का मुख्यमंत्री विधान परिषद का सदस्य है तो वो भी राष्ट्रपति के निर्वाचन में वोट नहीं दे सकता है।

राष्ट्रपति के कार्य और शक्तियां क्या है?

1. राष्ट्रपति निम्नलिखित प्राधिकारियों की नियुक्ति करते हैं –

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त।

संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य।

राज्यों के राज्यपाल।

भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति।

राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग,राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग।

केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासक।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक।

भारत के वित्त आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य।

2. जब संसद के दोनों सदनों में सत्र नहीं चल रहा होता है तो उस समय संविधान के अनुच्छेद 123 के मुताबिक राष्ट्रपति नया अध्यादेश जारी कर सकते हैं।

3. राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो व्यक्तियों को मनोनीत कर सकते हैं। राज्य सभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं।

4. दूसरे देशों के साथ कोई संधि या समझौता किया जाता है तो यहां राष्ट्रपति का हस्ताक्षर जरूरी होता है।

5. राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति को क्षमा कर पूर्ण दंड से बचा सकते हैं या फिर उसकी सजा कम करवा सकते हैं।

6. यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हो कि देश की सुरक्षा अथवा इसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध, बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह से खतरा है तो वह आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

7. राष्ट्रपति मौलिक अधिकारों को भी स्थगित कर सकता है।

8. राष्ट्रपति के पास किसी मंत्री, महान्यायवादी, राज्यों के राज्यपाल,संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायधीशों, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा चुनाव आयुक्तों को उनके पद से हटाने की शक्ति होती है।

9.लोकसभा में कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है । संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में जब कोई बिल पेश किया जाता है वहां से पास होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति जरूरी होती है।

राष्ट्रपति शासन क्या है?

राष्ट्रपति शासन में सारी शक्तियां राष्ट्र के राष्ट्रपति में समाहित हो जाती है यानी राष्ट्रपति शासन में किसी भी राज्य का नियन्त्रण मुख्यमंत्री के बजाय राष्ट्रपति के अधीन होता है। इससे वे राज्य के हित में कोई भी फैसला ले सकता है।
राष्ट्रपति शासन केवल एक राज्य तक ही सीमित नहीं होता है बल्कि पूरे देश में भी लागू किया जा सकता है।

राष्ट्रपति शासन कब लागू होता है?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान संविधान के Article 356 में दिया गया है। Article 356 के मुताबिक अगर राष्ट्रपति को ये लगता है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के मुताबिक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रही है तो राष्ट्रपति उस राज्य सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। इसके लिए राष्ट्रपति को राज्यपाल की रिपोर्ट की भी कोई जरूरत नहीं होती ।

यदि राज्य में दंगे की स्थिति पैदा हो जाए या अराजकता फैला जाएं और अगर राष्ट्रपति को लगे कि ऐसी स्थिति से निपटने में राज्य सरकार सक्षम नहीं है तो ऐसे केस में भी आर्टिकल 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि राज्य का नियन्त्रण मुख्यमंत्री के हाथों से निकलकर राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है।

राष्ट्रपति शासन कितने समय के लिए लागू किया जा सकता है?

राष्ट्रपति शासन पहले 6 महीने के लिए लगाया जाता है ।लेकिन राष्ट्रपति शासन लागू होने के 2 महीने के भीतर इस फैसले को संसद के दोनों सदनों यानी राज्य सभा और लोक सभा से पास करवाना होता है। अगर दोनों सदन इस फैसले को पास कर देते हैं तो राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए लागू हो जाता है।
राष्ट्रपति शासन ज्यादा से ज्यादा 6 -6 महीने की अवधि पर 3 साल तक ही लगाया जा सकता है।

The President of India

भारत के अभी तक के राष्ट्रपति के नाम –

1.Dr.Rajendra Prasad -1952-1957
Dr. Rajendra Prasad -1957-1962
2.Dr. Sarvapalli Radhakrishnan – 1962-1967
3.Dr. Zakir Hussain -1967-1969
4.V.V Giri -1969-1974
5.Fakhruddin Ali Ahmed -1974-1977
6.Neelam Sanjeev Reddy -1977-1982
7.Gyani Zail Singh -1982-1987
8.R. Venkataraman -1987-1992
9.Dr. Shanker Dayal Sharma -1992-1997
10.K.R. Narayanan -1997-2002
11. Dr.A.P.J. Abdul Kalam -2002-2007
12. Pratibha Singh Patil -2007-2012
13. Pranav Mukharji -2012-2017
14. Ram Nath Kovind -2017-2022

15.Droupadi Murmu 2022 से अभी तक..

भारत की 15वीं और वर्तमान राष्ट्रपति के रूप में सेवारत एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारतीय जनता पार्टी  की सदस्या थी। वह भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाले जनजातीय समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति हैं। द्रौपदी मुर्मू, प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला हैं।

“डॉ राजेन्द्र प्रसाद को देश के प्रथम राष्ट्रपति  1st President of India के रूप में निर्वाचित किया गया और वे लगातार दो बार इस पद पर आसीन रहे।”
“श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल प्रथम महिला राष्ट्रपति 1st women President of India हैं। वह भारत की बारहवीं राष्ट्रपति थीं।”
“आज तक केवल दो राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन और श्री फखरुद्दीन अहमद की अपने पद पर रहते हुए मृत्यु हुई है।”

 

 

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