जब भी आप कोई सामान खरीद ने जाते हैं या किसी सेक्टर में आप एडमिशन लेने जाते हैं तो आपको एक लोगो (logo) दिखाया जाता है। क्या आपको पता है कि यह ISO लोगो क्या है? यह लोगो ISO द्वारा कम्पनी को प्रमाणित किया गया रहता है।
जब कोई कम्पनी किसी प्रकार के प्रोडक्ट बनाती है तो उसके Management system की जाँच करना बहुत जरूरी होता है। किसी भी प्रोडक्ट या उत्पादन का जांच करने का काम ISO द्वारा किया जाता है।
कम्पनी ठीक तरह से काम कर रहा होता है तो ISO द्वारा उस कम्पनी को ISO Certificate दिया जाता है ताकि कम्पनी अपने प्रोडक्ट को बाजार में आसानी से बेच सके।
आज हम इस पोस्ट में ISO के बारे में जानेंगे । ISO क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, ISO का Full Form क्या होता है, ISO Certification लेना क्यों जरूरी होता है, ISO certification लेने की क्या प्रक्रिया है, इसके क्या फायदे है? तो आइए जानते हैं ISO के बारे में।
ISO क्या है?
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ISO एक Independent Non-Governmental International Organization है। ISO के द्वारा कम्पनियों की गुणवत्ता और शुद्धता की जाँच करके यह पता लगाया जाता है कि कम्पनी द्वारा ग्राहकों को बेचा गया प्रोडक्ट शुद्ध और सही है या नहीं। जब यह प्रमाणित हो जाता है कि कम्पनी की प्रोडक्ट शुद्ध और सही है तो ISO द्वारा सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
ISO एक स्वतंत्र संगठन है जो किसी बिजनेस के उत्पाद व सेवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और क्षमता का स्टैंडर्ड प्रदान करता है। इसका किसी के सरकार से लेना- देना नहीं होता है। यह एक तरह का सर्टिफिकेट होता है जो कम्पनियों को दिया जाता है।
ISO Certification आपके बिजनेस की विश्वसनीयता और संपूर्ण दक्षता को सुधारने में आपकी मदद करता है।
ISO अलग– अलग क्षेत्र की सेवाओं और उपकरणों के लिए अलग-अलग मानक तय करता है। इसने अन्तर्राष्ट्रीय मानकों और सम्बंधित दस्तावेजों को प्रकाशित किया है, जिसमें लगभग हर उद्योग, प्रोद्यौगिकी, खाद्य सुरक्षा, कृषि और स्वास्थ्य देख-भाल जैसे सेक्टर्स को शामिल किया गया है।
भारत का BIS (Bureau of Indian Standards) भारतीय मानक ब्यूरो, ISO में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
ISO का पहला Certificate 1779 में ISO- 9000 जारी किया गया था। जिस कम्पनी के पास यह Certificate होता है, उस कम्पनी के पास अपने प्रोडक्ट के सही और शुद्ध होने का प्रमाण होता है। पहले कम्पनी को ISO द्वारा 9001:2008 Certificate दिया जाता था। लेकिन अब ISO 9000:2015 Certificate प्रदान किया जाता है।
ISO का फुल फार्म क्या है?
ISO का फुल फार्म International Organization for Standards होता है तथा हिंदी में अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन होता है।
ISO की स्थापना कब हुई ?
ISO की स्थापना 23 फरवरी 1947 को हुई थी। उस समय केवल 25 देश थे और आज के समय 162 देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय (Headquarter) जेनेवा (स्विट्जरलैंड) में है।
ISO Certification लेना क्यों जरूरी होता है?
ISO Certification कम्पनी के लिए बहुत मायने रखता है, क्योंकि यह सर्टिफिकेट कम्पनी की शुद्धता और गुणवत्ता का प्रतीक माना जाता है। ISO द्वारा कम्पनियों की गुणवत्ता और शुद्धता की जाँच करके यह पता लगाया जाता है कि कम्पनी द्वारा ग्राहकों को बेचा गया प्रोडक्ट शुद्ध और सही है कि नहीं।
जब यह प्रमाणित हो जाता है कि कम्पनी का प्रोडक्ट शुद्ध और सही है तो ISO द्वारा यह सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
ISO Certificate कम्पनी के लिए बहुत ही जरूरी होता है, क्योंकि यह एक तरह से कम्पनी को नई साफ– सुथरी छवि प्रदान करता है।
ISO Certification के प्रकार–
कुछ ISO Certification इस प्रकार है-
ISO 9001:2008 – Quality management system
ISO 37001 – Anti-bribery management system
ISO 31000 –Risk management
ISO 27001 – Information security management system
ISO 10002 – Compliant management system
ISO 4001:2015 –Environment management system
ISO 26000 –Social Responsibility
ISO 28000 –Security management
ISO 22008 –Food Safety management
SA 8000 – Social Accountability
EnMsEN 16001 ISO 50001 – Energy management
SO 13485 – Medical devices
ISO 639 – Language codes
ISO 4217 – Currency Codes
ISO 8601 – Date and time format
ISO 20121 –Sustainable events
ISO की कितनी सदस्यता श्रेणियाँ हैं ?
ISO की तीन सदस्यता श्रेणियाँ हैं–
1.सदस्य संस्थाएँ–
ये राष्ट्रीय संस्थाएं हैं, जो कि प्रत्येक देश में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मानक संस्था मानी जाती है केवल इन सदस्यों को मतदान का अधिकार है।
2.प्रतिनिधि सदस्य–
वे राष्ट्र हैं, जिनका अपना कोई मानक संगठन नहीं है। इन सदस्यों को ISO की गतिविधियों से सुविज्ञ रखा जाता है, परन्तु ये मानक प्रवर्तन में भाग नहीं लेते हैं।
3.अंश दाता या उपभोक्ता सदस्य–
ये राष्ट्र है जो छोटी अर्थव्यवस्था वाले हैं, जो छोटी सदस्यता शुल्क देते हैं, परन्तु मानकों के विकास का अनुसरण करते हैं।
ISO Certification के लिए क्या डाकुमेंट्स चाहिए ?
पैन कार्ड की कापी
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
आधारकार्ड/ वोटर आईडी कार्ड की कापी
सेल्स बिल की दो कापी
इलेक्ट्रिसिटी बिल/वाटर बिल/ टेलीफोन बिल
ISO Certification के लिए प्रक्रिया क्या है?
- Create an application
- Quality documents Review
- Make an action plan
- Initial Certification Audit
- Completing ISO Certification
- Surveillance Audit
ISO Certification प्राप्त करने की समय अवधि इस बात पर निर्भर करती है कि आपका Organization कितना बड़ा या छोटा है प्रायः small Organization के लिए 6-8 Months, Medium Organization के लिए 8-12 months तथा Large Organization के लिए 12-15 months।
iso Certification प्राप्त करने के लिए कोई मूल्य निश्चित नहीं होता है यह Organization पर निर्भर करता है तथा उसके बिभिन्न प्रकार के पैरामीटर्स को ध्यान में रखकर उसका मूल्य निश्चित किया जाता है जैसे- Numbers of Employees , Numbers of process, Level of risk associated with the scope of services of the organization, complexity of the management system, The numbers of working shifts आदि।
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ISO Certification के क्या फायदे हैं?
1.ISO Certification बिजनेस की विश्वसनीयता में सुधार करता है और यह सीधे बिजनेस मार्केटिंग में मदद करता है।
2.इससे संगठनों की कार्यात्मक दक्षता में सुधार होता है।
3.यह अलग– अलग बाजारों के प्रोडक्ट्स को कम्पनियों को नये बाजारों में प्रवेश करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
4.ISO एक स्वतंत्र संगठन है जो किसी बिजनेस के उत्पाद व सेवाओं की गुणवत्ता सुरक्षा और क्षमता के स्टैंडर्ड्स प्रदान करता है।
5.कोई भी Industry ISO certification लेकर ज्यादा Competitive बन जाती है क्योंकि वह ऐसे Products और Services को आफर करती है जो Globally Accepted होते हैं।
6.इससे Product की Quality में सुधार होता है और लागत होती है।
7.ISO Certification कम्पनी की गुणवत्ता और शुद्धता का प्रमाण होता है।
आज हम इस पोस्ट में बताए कि ISO क्या है? ISO का फुल फार्म क्या है? ISO Certification के प्रकार, इस सर्टिफिकेट को लेना क्यों जरूरी होता है? ISO certification लेने के क्या प्रासेस है? इसके क्या फायदे हैं? उम्मीद है यह पोस्ट आपको पसंद आयी होगी।