Sanitizer क्या है ? तथा यह कितने प्रकार का होता है ?

आज के समय में कोरोना वायरस के कारण अपनी सुरक्षा और उनसे होने वाले इन्फेक्शन को रोकने के लिए सेनिटाइजर Sanitizer का इस्तेमाल रोज का काम बन चुका है। आज हम इस पोस्ट में सेनिटाइजर (Sanitizer) के बारे में जानेंगे । सेनिटाइजर(Sanitizer) का प्रयोग Germs यानि कीटाणु, बैक्टीरिया  व्  वायरस  को मारने के लिए किया जाता है।

सेनिटाइजर (Sanitizer) का प्रयोग केवल हाथों के Germs और Bacteria को मारने के लिए नहीं किया जाता है बल्कि ऐसे बहुत से जगह हैं जहाँ हम सेनिटाइजर (Sanitizer) का यूज करते हैं जैसे घर, हास्पिटल, बस, कार और ऐसी जगह जहाँ Germs का खतरा रहता है वहाँ पर Germs को रोकने के लिए सेनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाता है।

Sanitizer

आज हम इस पोस्ट में सेनिटाइजर के बारे में जानेंगे कि सेनिटाइजर(Sanitizer) क्या है? इसकी शुरुआत कब हुई ? सेनिटाइजर कितना प्रभावी होता है?यह कितने तरह का होता है? इसका इस्तेमाल कैसे और कब करना चाहिए? यह कैसे बनता है? इसका असर कितनी देर तक रहता है? इसके क्या नुकसान हैं ?तो आइए जानते हैं सेनिटाइजर(Sanitizer) के बारे में ।

सेनिटाइजर (Sanitizer) क्या है ?

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सेनिटाइजर एक एन्टी सेप्टिक एजेंट(Antiseptic agent) है जो हाथों में मौजूद पैथोजन को हटाने का काम करता है। पैथोजन्स Prisons , Viruses,  Bacteria, Fungi, Algae जैसे माइक्रोब्स के रूप में मौजूद रहते हैं।आमतौर पर हैंड सेनिटाइजर लिक्विड, जेल तथा फोम यानि झाग के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं जिसमें लिक्विड और जेल का यूज अक्सर किया जाता है। सेनिटाइजर में अधिक मात्रा में एल्कोहल का इस्तेमाल किया जाता है।

सेनिटाइजर (Sanitizer) की शुरुआत कब हुई ?

सेनिटाइजर की शुरुआत सबसे पहले 1966 में हुई थी।इसे मेडिकल के लिए  और हास्पिटल में हैंडवाश के रूप में किया गया। साल 1990 से ये हैंड सेनिटाइजर काफी फेमस होने लगा।अक्सर जब किसी के पास हैंडवॉश के लिए साबुन और पानी नहीं मिलता था तब काफी कम समय में Germs को मारने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।

सेनिटाइजर (Sanitizer) कितने तरह का होता है ?

सेनिटाइजर दो तरह के होते हैं–

1.Alcohol Based  2. Alcohol Free

1.Alcohol Based –

एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर काफी पापुलर हैं, जिन्हें अक्सर लोग काफी मात्रा में इस्तेमाल करते हैं। एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर में 60% – 95%तक एल्कोहल मौजूद होते हैं। जिसमें Isopropyl alcohol, Ethanol और n-propanol को active Ingredients के तौर पर प्रयोग किया जाता है।

इसके अलावा इसमें Glycerol और कुछ Fragrance का भी इस्तेमाल होता है।जिन एल्कोहल बेस्ड सेनिटाइजर में एल्कोहल की Concentration 70% – 95%% तक होती है वह काफी प्रभावी या असरदार साबित होते हैं। लेकिन ये काफी ज्वलनशील होते हैं।

2.Alcohol Free –

एल्कोहल फ्री सेनिटाइजर में Povidone – iodine,  benzalkonium  chloride, Triclosan  जैसे Chemicals मौजूद होते हैं जो कम समय में अपना असर खत्म कर देते हैं। इसलिए Alcohol free Sanitizer का इस्तेमाल काफी कम होता है।

हैंड सेनिटाइजर (Hand Sanitizer) का इस्तेमाल कैसे करते हैं ?

हैंड सेनिटाइजर का 2- 3 बूँद हम अपने हाथों पर लेते हैं और हम अच्छी तरह से दोनों हाथों को अच्छी तरह से मिलाते हैं। इससे हमारे हाथों के Germs और Bacteria नष्ट हो जाते हैं।

Sanitizer

सेनिटाइजर (Sanitizer) का इस्तेमाल कब करना चाहिए ?

यदि हम घर से कहीं बाहर गये हैं और वहाँ पानी की सुविधा नहीं है तो हमें हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए।वैसे भी हम हर समय पानी से तो हाथ धो नहीं सकते।यदि हम घर से बाहर हैं और किसी से मिलते हैं, किसी को छूते हैं।

यह भी जरूरी नहीं है कि हम किसी इन्सान को छूते हैं बल्कि किसी दीवार, किसी अन्य वस्तु आदि को छूते हैं वहाँ हजारों Germs होते हैं और हमारा हाथ इन्फेक्टेड हो जाता है। हम अपने हाथ से बार-बार चेहरे को छूते हैं आँख, नाक, मुँह आदि जगहों को भी छूते हैं जिसके कारण से जो germs होते हैं हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं।

हम हरजगह तो साबुन और पानी ले नहीं जा सकते हैं इसलिए हम सेनिटाइजर का प्रयोग करते हैं। पहले के समय में तो सेनिटाइजर का प्रयोग बहुत ही कम किया जाता था लेकिन अब कोरोना वायरस के कारण ऐसी परिस्थतियां आ गई है जिससे सेनिटाइजर का प्रयोग करना जरूरत बन गई है। इसलिए हमारे पास सेनिटाइजर का होना बहुत ही जरूरी है।

सेनिटाइजर (Sanitizer) कितना प्रभावी (Effective) होता है ?

जब हम हैंडसेनिटाइजर को अपने हाथों में लगाते हैं तो उस दौरान इसमें मौजूद एल्कोहल बैक्टीरिया और वायरस की आउटर कोटिंग(Outer coating) को खत्म करके उनमें मौजूद प्रोटीन और लिपिड्स कणों को हटाना शुरू कर देता है। धीरे-धीरे जब इन कणों की मात्रा काफी कम हो जाती है तब ये Inactive हो जाते हैं या इन्फेक्शन लायक नहीं रहते हैं।

अगर आपके हैण्ड सेनिटाइजर में Isopropyl alcohol मौजूद है और आप इसे अच्छे तरीकें से लगाते हैं तो ये 99.99%  तक कई तरह के germs को मात्र 30 सेकेंड में खत्म कर सकता है।

इसके अलावा जिन एल्कोहल रब सेनिटाइजर में 70 % से ज्यादा एल्कोहल मौजूद होती है और सामान्य तरिके से हाथों पर लगाते हैं तो ये 1 मिनट में 99.99 %  तक germs  और Bacteria को खत्म कर सकता है।

लेकिन ये हमेशा इतने प्रभावशाली नहीं होते। इनकी प्रभावशीलता हाथों में मौजूद पैथोजन्स की मात्रा और उनके टाइप पर भी निर्भर करती है।

सेनिटाइजर (Sanitizer) का असर कितने देर तक रहता है ?

सेनिटाइजर का असर ज्यादा देर तक नहीं रहता है इसलिए हाथ धोना ज्यादा जरूरी होता है। सेनिटाइजर एल्कोहल बेस्ड होता है जिससे आप हाथ को तुरंत साफ कर सकते हैं। लेकिन ज्यादा गंदे हाथों को सेनिटाइज करने से कोई फायदा नहीं होता है। ऐसे में आप पहले अपने हाथों को धोलें फिर सेनिटाइज करें।

हैण्ड सेनिटाइजर (Hand Sanitizer) कैसे बनता है ?

हैण्ड सेनिटाइजर को बनाने के लिए काफी केमिकल्स का यूज किया जाता है। इसमें Menthol, alcohol, glycerine, carpool, alovera , distilled water आदि मिलाकर बनाया जाता है।मेन्थॉल आप के हाथों को ठण्डक पहुँचाने का काम करती है।गिलसिरिन से आपके हाथों में चिकनाहट आती है। कार्बोपोल से सेनिटाइजर में थिकनेस आती है।

उसके बाद इन सभी को मिक्सर में मिलाया जाता है फिर एक नाप तोल के अमाउंट देने के बाद बॉटल में भरकर सीलकर दिया जाता है और फिर पैकेजिंग को पूरा करने के बाद अलग-अलग डिस्ट्रीब्यूटर के द्वारा अलग-अलग स्टोर में सेलिंग के लिए बेच दिया जाता है।

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सेनिटाइजर (Sanitizer) से क्या नुकसान हैं ?

सेनिटाइजर 99.99% कीटाणुओं को खत्म करता है लेकिन नये रिसर्च से पाया गया है कि सेनिटाइजर का अधिक इस्तेमाल आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। सेनिटाइजर में Triclosan नामक केमिकल होता है जो त्वचा पर पड़ने के साथ सुख जाता है और आप अगर इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं तो केमिकल त्वचा से ब्लड में मिल जाता है। ब्लड में मिलने के बाद ये माँसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके साथ-साथ से निटाइजर में विषैले तत्व और Benzalkonium chloride होता है जो हमारे त्वचा के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होता है। इससे त्वचा में जलन और खुजली जैसी समस्याएं भी हो सकती है।

सेनिटाइजर में खुशबू के लिए फैथलेट्स नामक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मात्रा अधिक होने पर हानि कारक हो जाता है। अत्यधिक खुशबू वाले सेनिटाइजर लिवर, किडनी, फेफडों और प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुँचाते हैं।इससे और भी कई तरह के संक्रमण आपको हो सकते हैं।

Bisphenol -A ऐसा केमिकल है जो कैंसर का भी कारक बन सकता है।यदि किसी हैण्ड सेनिटाइजर में Isopropyl alcohol  मौजूद हैं तो यह शरीर में जाकर आन्तरिक अंगों और नर्वस सिस्टम को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है।

यदि कोई गलती से हैण्ड सेनिटाइजर पीलें तो शरीर पर क्या असर होगा ?

हैण्ड सेनिटाइजर में काफी मात्रा में एल्कोहल मौजूद होता है जो यदि गलती से किसी के शरीर में चला जाए तो alcohol poisoning होना तय है। यदि किसी हैण्ड सेनेटाइजर में Isopropyl alcohol मौजूद हैं तो ये उसके शरीर में जाकर उसके इन्टरनल आर्गन और नर्वस सिस्टम को बुरी तरह से डैमेज कर सकता है।

अगर इस एल्कोहल की मात्रा शरीर में कम है तो भी ये किसी को परमानेंट ब्लाइंडनेस, ब्रेन डैमेज, किडनी और लिवर डैमेज हो सकता है। यह केमिकल काफी टाक्सिक होता है इसलिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।

इसके अलावा जिस सेनिटाइजर में Ethenol का इस्तेमाल किया जाता है तो ये भी खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि Isopropyl alcohol जितना टाक्सिक नहीं होता है। इसके अलावा हैण्ड सेनिटाइजर में Benzophenone-4, Cabinet, Isopropyl myristrate,  propylene glycol, tocopheryl acetate जैसे केमिकल्स भी इस्तेमाल किए जाते हैं जो जहरीले साबित हो सकते हैं।

यदि गलती से हैण्ड सेनिटाइजर हमारे शरीर में चला जाए तो हमें डाक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए।हमें हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए।

आज हम इस पोस्ट में सेनिटाइजर के बारे में बताएँ। उम्मीद है आपको यह पोस्ट  पसंद आयी होगी तो  दोस्तों में शेयर अवश्य करें धन्यवाद।

 

 

 

 

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