हैलो दोस्तों हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज हम इस पोस्ट में GI Tag के बारे में बताएंगे। GI tag क्या है ? इसकी शुरुआत कब हुई ? इसका क्या महत्व है ? इसका स्लोगन या नारा क्या है ? इससे क्या लाभ है ? इसको रेगुलेट कौन करता है ? तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
GI Tag क्या है ?
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जी आई टैग मुख्य रूप से कुछ विशिष्ट उत्पादों को जोकि एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न हो दिया जाता है। यह किसी भी उत्पाद के लिए एक प्रतीक चिन्ह के समान होता है। यह उत्पाद की विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति, विशेष गुणवत्ता और पहचान के आधार पर दिया जाता है। GI tag उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता को दर्शाता है।
“जी आई टैग एक संकेत है जिसका उपयोग विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति और उस मूल के कारण अद्वितीय गुणवत्ता वाले उत्पादों पर किया जाता है।”
इसके तहत खाने-पीने की प्रसिद्ध चीजों को एक भौगोलिक पहचान दी जाती है। जी आई टैग wine and spirit drinks, foodstuffs, agricultural products, handicrafts और Industrial products पर मिलता है।
एक बार जब किसी उत्पाद को जी आई टैग मिल जाता है तो वह 10 साल के लिए वैध हो जाता है। इसके बाद उन्हें फिर से रिन्यू कराना पड़ता है।
वर्ष 2004 में भारत में सबसे पहला GI Tag दार्जिलिंग की चाय को दिया गया और इसी तरह पश्चिम बंगाल के साथ रसगुल्ले क़ पहचान मिली है।
GI Tag का फुल फार्म क्या है ?
GI Tag का फुल फार्म Geographical Indication Tag होता है तथा हिंदी में भौगोलिक संकेतक होता है।
भारत के कुछ उत्पाद हैं जिन्हें GI Tag प्राप्त हैं –
मैसूर सिल्क –( Handcraft) -कर्नाटक
दार्जिलिंग चाय –(Agricultural)-पश्चिम बंगाल
कड़कनाथ मुर्गा – मध्यप्रदेश
केसर –(Agricultural)- जम्मू कश्मीर
काला जीरा –(Agricultural)- हिमांचल प्रदेश
जीरा फूल –(Agricultural)- छत्तीसगढ़
स्ट्राबेरी –(Agricultural)- महाब्लेश्वर
संतरा –(Agricultural)-नागपुर
पास्मीना –जम्मू कश्मीर
टेराकोटा -गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
कंधमाला हल्दी -ओड़िशा
बासमती चावल -पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश
पालनी पंचामृत -तमिलनाडु
GI Tag की शुरुआत कब हुई ?
जी आई टैग World Trade of Organization (WTO) द्वारा प्रदान किया जाता है। WTO के सदस्य के रूप में भारत ने 15 सितम्बर 2003 को Geographical Indication of Goods Registration and Protection Act ( पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम )1999 को लागू किया था।
GI Tag का क्या महत्व है ?
1.उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना।
2.पर्यटन को बढ़ावा देना।
3.किसानों को लाभ पहुँचाना।
4.छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना।
5.स्थानीय उत्पादों को संरक्षण एवं बढ़ावा देना।
6.यदि कोई इस जी आई टैग का गलत उपयोग कर रहा है तो उसे दण्ड देने का प्रावधान है।
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GI Tag को Regulate कौन करता है ?
जी आई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिए पेरिस कन्वेंशन के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों के एक घटक के रूप में शामिल किया गया।अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसका विनियमन WTO के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार सम्बन्धी पहलुओं पर समझौते (TRIPS -Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights) Agreement )के तहत किया जाता है।
भारत ने TRIPS Agreement का अनुपालन करने के लिए WTO के सदस्य के रूप में GI of Goods (Registration and Protection) Act,1999 अधिनियम बनाया। यह अधिनियम DIPP (Department of Industrial Policy and Promotion) के अधीन Controller General of Patents , Designs and Trademarks द्वारा प्रशासित है।
GI Tag का नारा (Slogan) क्या है ?
अतुल्य भारत की अमूल्य निधि (Invaluable Treasures of Incredible India)
GI Tag से क्या लाभ है ?
1.जी आई टैग किसी क्षेत्र में पाये जाने वाले उत्पादन को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
2जी आई टैग के द्वारा उत्पादों के अनाधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है
3.जी आई टैग किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाली वस्तुओं का महत्व बढ़ा देता है।
4.इसके द्वारा सदियों से चली आ रही परम्परागत ज्ञान को संरक्षित एवं संवर्धन किया जा सकता है।
5.इसके द्वारा स्थानीय उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है।
6.इसके द्वारा पर्यटक और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
आज हम इस पोस्ट में GI Tag के बारे में बताएं। उम्मीद है यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी तो दोस्तों को शेयर जरूर करें।