शरीर के अंगों(Name of body parts) के नाम हिन्दी में-

हैलो दोस्तों हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है।  आज हम आपको Name of the body parts शरीर के अंगों के नाम और अंगों के बारे में बताएंगे। तो आइये जानते है शरीर के अंगों के नाम और शरीर के अंगों के बारे में ।

शरीर के अंगों के नाम

आँख (Eye )-

आँख हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से  हैं जिससे हम अपने चारों तरफ की वस्तुओं को देख सकते है। यह चेहरे का भाग होता है । यह एक संवेदी अंग(Sense Organ ) है। इसे ज्ञानेन्द्रियाँ भी कहते हैं।

नाक ( Nose )- 

नाक चेहरे का ही भाग होता है जो मुँह के ऊपर स्थित होता है। नाक के द्वारा हम साँस लेते हैं और कोई भी गन्ध सुगंध या दुर्गंध नाक के द्वारा सूँघकर पता लगा सकते हैं। नाक भी एक संवेदी अंग(Sense organ ) है।

कान (Ear ) –

कान भी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। कान के द्वारा ही हम किसी भी तरह के ध्वनिया आवाज को सुन सकते है। कान सुनने के साथ-साथ हमारे शरीर को भी संतुलित रखता है। कान भी एक संवेदी अंग होता है।

मुँह या मुख(mouth)-

मुँह के द्वारा ही हम भोजन को अन्दर लेते हैं और हम इसी के द्वारा ही बातचीत करते हैं। मुँह जन्तुओं की आहार नली का प्रथम भाग होता है। मुँह के अन्दर का भाग लार की वजह से गीला रहता है।

दाँत(Teeth )-

दाँत हमारे शरीर का सबसे मजबूत अंग होता है। दाँत से हम भोजन को पकड़ते हैं, काटते हैं, फाड़ते हैं, चीरते है और चबाते हैं। दाँत मुँह में स्थित छोटे, सफेद रंग की संरचना होती है। वयस्क मनुष्य में इसकी संख्या 32 होती है, 16 ऊपर के जबड़ों में और 16 नीचे के जबड़ों में । दाँतों की जड़ें मुँह में स्थित मसूड़ों से ढ़की होती है।

गाल (Cheek )-

गाल हमारे शरीर के आँखों के नीचे नाक के दायें और बायें भाग में स्थित होता है। गाल माँसल होते है।

मसूड़ा (Gum)-

मुँह के अंदर स्थित वे ऊतक हैं जो दाँतों को पकड़े रहते हैं, उसे मसूड़ा कहते हैं। मसूड़े हमारी दाँतों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

लार (Saliva)-

लार एक तरल पदार्थ है जो मुँह में लार ग्रन्थियों द्वारा लार का निर्माण होता रहता है। मानव लार 98% जल से बना होता है 2% अन्य योगिकों से बना होता है। लार भोजन को गीला करता है और लुग्दी बनाता है जिससे भोजन को आसानी से निगला जा सकता है। लार भोजन को पचाने में सहायता करती है।

ठुड्डी (Chin ) –

यह चेहरे का सबसे नीचला भाग होता है। चेहरे में होठ के नीचे हड्डी वाले भाग को ठुड्डी कहते है।

बाल ( Hair ) –

बाल प्राणियों के बाहरी त्वचा पर रेशे जैसे होते हैं। इन्हें रोयें भी कहते हैं। मनुष्यों में सबसे घना बाल सिर पर होता है। बाल शरीर को सर्दी और गरमी से बचाता है। सिर के बाल से मानव शरीर की सुन्दरता भी बढ़ती है।

सिर (Head ) –

मानव शरीर के सबसे ऊपरी भाग को सिर कहते हैं।

माथा(Forehead)-

मानव शरीर के सिर के ऊपरी और सामने वाले भाग को ही माथा कहते हैं। इसे ललाट या मस्तक भी कहते हैं ।

चेहरा (Face )-

मानव शरीर के सिर के सामने वाला भाग चेहरा होता है। चेहरे से एक दूसरे को पहचान जाता है तथा चेहरे को मौखिक संचार के लिए भी प्रयोग करते हैं। चेहरे पर आँख, नाक, कान, मुँह, होंठ उपस्थित होते हैं।

गर्दन (Neck )-

गर्दन मानव शरीर का वह भाग होता है जो सिर को धड़ से जोड़ती है।

होंठ (Lip ) –

मुँह के बाहर का ऊपर और नीचे का ऊभरा हुआ भाग होंठ कहलाता है। होंठ कोमल और लचीले होते हैं। यह मुँह का द्वार होते हैं । होंठ ध्वनि का उच्चारण करने में मदद करते हैं।

त्वचा (Skin ) –

त्वचा मानव शरीर की बाहरी आवरण होती है। यह हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग होता है। त्वचा शरीर को संक्रमण से रक्षा और हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। हमारे शरीर की सबसे पतली त्वचा आँखों पर होती है।

जीभ (Tongue) –

मुँह के अन्दर एक मोटी एवं मांसल संरचना होती है जिसे जीभ कहते हैं। जीभ के ऊपरी सतह पर कई छोटे –छोटे अंकुर होते हैं, जिन्हें स्वाद कलियाँ कहते हैं। इन्हीं स्वाद कलिकाओं के द्वारा भोजन के स्वाद का पता चलता है।

जीभ के अगले हिस्से में उपस्थित स्वाद कलिकाएँ मीठा स्वाद, मध्य भाग में उपस्थित स्वाद कलिकाएं नमकीन स्वाद, अन्तिम भाग में उपस्थित स्वाद कलिकाएँ से कड़वे स्वाद का पता चलता है।

जीभ भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है और स्वर भी नियन्त्रित करती है।

तालु(Palate) –

मानव शरीर के मुँह में तालु की छत होती है। तालु के दो भाग होते हैं- आगे का भाग कठोर तालु और मुँह के पिछले भाग का नरम तालु।

जबड़ा (Jaw)-

यह मुँह के शुरू में एक ढ़ाचा जिसके द्वारा मुँह खोलता और बंद करता है, जबड़ा कहलाता है। जबड़े से ही मुँह के द्वारा भोजन को पकड़ा जाता है। जबड़े के दो हिस्से होते हैं Upper jaw and lower jaw ।

हाथ (Hand ) –

मानव शरीर के बाँह के अगले भाग को हाथ कहते हैं। हाथ के किनारों पर पाँच अंगुलियां पायी जाती है। हाँथ के द्वारा हम किसी वस्तु को पकड़ सकते हैं।

बाँह या भुजा (Arm) –

कंधे से लेकर हथेली तक का वह भाग जिसके द्वारा हम किसी वस्तु को पकड़ते हैं तथा इससे कार्य करते हैं उसे ही बाँह या भुजा कहते हैं। बाँह को चारों ओर घुमा भी सकते हैं।

कंधा (Shoulder)-

पीठ के ऊपरी हिस्से और गर्दन के दायें और बायें भाग को कंधा कहते हैं । कंधे की हड्डियों के बीच जोड़ो से कंधे का जोड़ बनता है।

पीठ (Back )-

हमारे शरीर का एक बड़ा भाग पीठ होता है जो शरीर के पिछले भाग में नितम्ब से ऊपर आरम्भ होकर गर्दन और कंधों के नीचे समाप्त होता है। पीठ के बीच में रीढ़ की हड्डी होती है।

आमाशय या पेट(Stomach)-

आमाशय एक पेशीय, खोखला आहार नली का फैला हुआ भाग है जो पाचन नली के प्रमुख अंग के रूप में कार्य करता है। आमाशय ग्रासनली और छोटी आँत के बीच में स्थित होता है।

घुटना (Knee)-

मानव शरीर में पैर के मध्य भाग के जोड़ को घुटना कहते हैं। घुटने के जोड़ के कारण ही हमारा पैर मुड़ता है।

टाँग (Leg) –

जाँघ और पाँव या एड़ी के मध्य भाग को टाँग कहा जाता है। टाँग की सहायता से ही मानव शरीर खड़ा हो सकता है, बैठ सकता है।

पैर या पाँव (Foot ) –

मानव शरीर के निचले भाग यानि टांग के अंत पर स्थित होता है। पाँव शरीर का भार उठाने और उसके चलने में सहायक होता है ।

जाँघ (Thigh)-

मनुष्य के घुटने और कमर के बीच के भाग को जाँघ कहते हैं। यह टाँग का ऊपरी भाग होता है।

एड़ी (Heel)-

पैर के निचले भाग में पीछे का उभरा हुआ भाग एड़ी होता है।

तलवा (Sole)-

पैर के नीचे का भाग जो चलने या खड़े होने में जमीन पर पड़ता है, तलवा कहलाता है। तलवे पर बाल नहीं होता है तथा इसमें पसीने के छिद्रों की उच्च सान्द्रता होती है। शरीर में त्वचा की सबसे मोटी परत तलवा की होती है।

गला (Throat ) –

शरीर के गर्दन के आगे के भाग को गला कहते हैं। गले में कई अंग Pharynx, larynx ,trachea, Epiglottis होते हैं। इसे कंठ भी कहते हैं।

नाखून (Nail)-

नाखून हमारे शरीर के हाथ पांव की अंगुलियों के आखिरी हिस्से के ऊपरी भाग में एक ठोस कवचनुमा आवरण होता है। यह एक कठोर प्रोटीन, कैरोटीन से बना होता है।

भौंह (Eyebrows)-

आँख के ऊपर हड्डी होता है और उसी हड्डी पर बाल होते हैं जिसे भौंह कहते हैं।

पलक (Eyelid)-

पलक आँख की पुतली के ऊपर का पपोटा होता है जो इसकी सुरक्षा करता है। पलकें सिकुड़कर और खुलकर आँख के खुलने और बंद होने की स्थितियां बनाती है।

बरौनी (Eyelash )-

नेत्र पलक के छोर पर उगे बाल को बरौनी कहते हैं। बरौनियां बाहरी पदार्थ जैसे कि धुल मिट्टी आदि को आँखों में जाने से रोककर आँखों की रक्षा करती है।

पेट (Belly)-

यह शरीर में छाती के नीचे तथा पेड़ू के ऊपर का भाग होता है। यह पेट के अन्दर का थैलीनुमा भाग हैं जिसमें भोजन किए हुए पदार्थ इकट्ठे होते हैं और पचते हैं।

नाभि (Navel) –

नाभि पेट पर बना एक ऐसा निशान है जो पैदा होने से पहले ही माँ के गर्भ में बन जाता है। यह वही भाग होता है जिससे बच्चा अपनी माँ की गर्भ नाल से जुड़ा होता है और जन्म होने के बाद इसे अलग कर दिया जाता है। अलग होने के बाद पेट पर एक निशान बन जाता है और वही नाभि होता है।

छाती (Chest)-

यह मानव शरीर में आगे की ओर स्थित गर्दन और उदर के बीच का भाग होता है। पुरुष के छाती को chest कहते हैं ।

स्तन (Breast)-

स्त्री के छाती को breast कहते हैं। इसमेँ दुग्ध ग्रन्थियां पायी जाती है।

काँख या बगल(Armpit)-

बाँह और कंधे के जोड़ के नीचे खोखली जगह को काँख या बगल कहा जाता है।

कोहनी (Elbow)-

बाँह के मध्य भाग में जोड़ के द्वारा ही बाँह का मुड़ना जहाँ से होता है, कोहनी कहलाता है।

कलाई (Wrist)-

कलाई हथेली और कोहनी के बीच का भाग होता है जहाँ स्त्रियां कड़ा या चूडियां पहनती हैं। कलाई में जोड़ के द्वारा ही कलाई चारों ओर घुमती है।

टखना (Ankle)-

टखना पैर का वह भाग है जिसकी गतिशीलता पैर को पीछे मोड़ने और चलने में सहायक होती है। पिंडली और ऐड़ी के बीच की दोनों ओर उभरी हुई हड्डी के पास के भाग को टखना कहा जाता है।

पिंडली (Calf)-

पिंडली टाँग का ऊपरी पिछला भाग होता है। यह घुटने और एड़ी के बीच का मांसल स्थान होता है।

मस्तिष्क (Brain)-

मस्तिष्क को दिमाग भी कहते हैं। यह हमारे सिर में स्थित होता है और खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है। मानव शरीर का हर हिस्सा मस्तिष्क से ही संचालित होता है। मानव शरीर में मस्तिष्क सबसे जटिल अंग होता है। मस्तिष्क के द्वारा ही शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है।

नथुना या नासिका(Nostril) –

हमारे शरीर के नाक के अन्त में शरीर से बाहर खुलने वाली दो नलियों में से एक को नासिका कहते हैं। नासिकाएँ अंदर लिए जाने वाले साँस को गर्म करती हैं और बाहर जाने वाले साँस से नमी हटाकर उसका जल शरीर से दूर होने से रोकती है।

कंठ (Larynx)-

गले के भीतरी हिस्सों में एक श्वसन अंग होता है जिससे आवाज निकलती है । यह एक ऊपर नीचे छेद वाला मुकुटाकार रचना है जो गले के सामने भाग में श्वासनली के शिखर पर रहता है और जिसके द्वारा श्वास वायु का प्रवेश होता है तथा कंठ से स्वर निकलता है।

कुल्हा (Hip or Pelvis) –

कुल्हा शरीर के धड़का निचला भाग होता है जो उदर और जाँघों के बीच में स्थित होता है ।

हृदय (Heart) –

मानव का हृदय गुलाबी रंग का तथा शंकु के आकार का होता है। हृदय हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह वक्ष गुहा में फेफड़ों के मध्य स्थित होता है। यह दोहरे हृदयावरण(Pericardium) से घिरा होता है। मानव हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है। हृदय शरीर के सभी भागों में संकुचन के द्वारा रक्त को पहुँचाता है।

अंगुलियां (Fingers)-

हमारे शरीर के हाथ और पैर के किनारे के भाग पर अंगुलियां होती है। हाथों में 5-5 और पैरों में 5-5 अंगुलियां होती हैं।

अंगूठा (Thumb) –

इसे हाथ का अंगूठा कहते हैं। दोनों हाथों के अंगुलियों में 1-1 मोटी अंगुली होती है इसे ही अंगूठा कहते हैं। अंगूठे की सहायता से ही किसी वस्तुको पकड़ते हैं।

पैर अंगूठा (Toe)-

इसे पैर का अंगूठा कहते हैं। पैर के अंगुलियों में एक मोटी अंगुली होती है जिसे पैर का अंगूठा कहते हैं।

हथेली (Palm) –हाथ पर कलाई के आगे का वह ऊपरी चौड़ा भाग जिसके आगे अंगुलियां होती हैं हथेली कहलाता है। हथेली में बाल नहीं पाया जाता है और इसकी चमड़ी अन्य जगहों की चमड़ी से मोटी होती है।

रीढ़ की हड्डी (Backbone)-

मानव शरीर संरचना में रीढ़ की हड्डी पीठ की हड्डी का समूह हैं जो मस्तिष्क के पिछले भाग से निकलकर गुदा(anus) के पास जाती है। इसमें 33 खण्ड(Vertebrae) होते हैं ।

संधि या जोड़ (Joint)-

शरीर में दो या दो से अधिक अस्थियां या उपास्थियां जहाँ मिलती हैं, उस स्थान को संधिया जोड़ कहते हैं। शरीर में तीन प्रकार की संधियाँ होती हैं- चलसंधि, अचलसंधि और विसर्पी संधि।

पसली (Rib)

मानव शरीर के वक्ष में स्थित एक हड्डियों का ढ़ाचा होता है। यह वक्ष गुहा में स्थित महत्वपूर्ण अंगों की रक्षा करता है। पसलियां शरीर के पीछे मेरुदण्ड से जुड़ी होती हैं।

फेफड़ा (Lung)-

फेफड़ा हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जिसके द्वारा हम साँस लेते हैं। यह एक जोड़े के रूप में उपस्थित होता है। यह वक्ष गुहा में स्थित होता है। फेफडों में रक्त का शुद्धिकरण होता है।

रक्त (Blood)-

रक्त एक तरल संयोजी ऊतक हैं। यह लाल रंग का होता है। यह एक चिपचिपा क्षारीय पदार्थ होता है। रक्त का निर्माण अस्थि मज्जा में होता है लेकिन गर्भावस्था के समय में शिशु के शरीर में रक्त का निर्माण यकृत में होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में रक्त की औसत मात्रा 5-6 लीटर तक होती है। रक्त का रंग लाल हिमोग्लोबिन के कारण होता है।

धमनी (Artery)

शरीर के भीतर की वह छोटी या बड़ी नली जिसमें रक्त संचार होता रहता है। परिसंचरण तंत्र में यह हृदय से रक्त को आगे शरीर के दूसरे अंगों तक पहुँचाता हैं। पल्मोनरी धमनी के अतिरिक्त सभी धमनियों में शुद्ध रक्त बहता है।

शिरा या नस (Vein)-

शिरा परिसंचरणतंत्र में रक्त को हृदय की ओर ले जाती है। पल्मोनरी वेन के अतिरिक्त सभी वेन्स में अशुद्ध रक्त बहता है।

नब्ज या नाड़ी (Pulse) –

हृदय की धड़कन के कारण धमनियों में होने वाली हलचल को नाड़ी या नब्ज कहते हैं। किसी धमनी को उसके पास की हड्डी पर दबाकर नाड़ी की धड़कन को महसूस किया जाता है।

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अलंकार(Alankar) क्या है ? इसकी परिभाषा और इसके प्रकार-

तंत्रिका (Nerve)-

किसी जीव के शरीर में तंत्रिका ऐसे रेशों को कहते हैं, जिसके द्वारा शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजे जाते हैं। तंत्रिकाओं के पूरे समूह को तंत्रिका कहते हैं।

हड्डी (Bone)-

हड्डी हमारे शरीर का सबसे कठोर अंग है जो अन्तः कंकाल का निर्माण करती है। यह शरीर को चलाने, सहारा देने और शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करने में सहायता करती है। वयस्क शरीर में कुल 206 हड्डी होती है।

माँसपेशी (Muscle)-

माँसपेशियाँ शरीर के ऐसे मांसल ऊतक हैं जो शारीरिक अंगों को गति प्रदान करते हैं। शरीर की सभी गतिक्रियाएँ, माँसपेशियों के संकुचन के कारण होती है। मानव शरीर में 639 पेशियाँ होती है।

कनपटी (Temple)-

कनपटी मनुष्य के शरीर का वह अंग होता है जो कान और आँख के बीच में स्थित होता है।

खोपड़ी(Skull)-

यह वह अस्थियाँ हैं जो सिर तथा चेहरे को आकृति प्रदान करती है। मस्तिष्क को सुरक्षा प्रदान करता है। खोपड़ी दो भागों से बना होता है- क्रैनियम और मेंडिबल।

गुर्दा (Kidney)-

मनुष्यों में गुर्दे उदर गुहा में स्थित होते हैं। इनकी संख्या दो होती है। गुर्दे की संरचना से मके आकार की होती है। गुर्दों द्वारा हमारे शरीर में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को उत्सर्जित किया जाता है।

यकृत (Liver)-

यकृत या जिगर मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जो पेट के दाई ओर पसली के बीच में स्थित होता है। इसका कार्य भोजन को पचाना, शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालना, रक्त को शरीर के अन्य भागों में पहुँचाना इत्यादि को करता है।

मूँछ (Moustache)-

ऊपरी होंठ के ऊपर और नाक के नीचे पर बाल पाये जाते हैं जिसे मूँछ कहा जाता है। विशेषकर यह पुरुषों में होता है।

दाढ़ी (Beard )-

पुरुषों में गाल, ठुड्डी और होठों के ऊपर नीचे बाल उग आते हैं उसे ही दाढ़ी कहते हैं। महिलाओं और बच्चों में दाढ़ी नहीं पाये जाते हैं।

गुदा द्वार (Anus)-

यह शरीर का वह भाग होता है जहाँ से मल त्याग किया जाता है यानि शरीर के अन्दर का अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाल दिया जाता है।

संवेदी अंग क्या होता है ?

वातावरण के परिवर्तन को ग्रहण करने वाले अंगों को संवेदी अंग या ज्ञानेन्द्रियाँ कहते हैं। मानव शरीर में 5 प्रकार की ज्ञानेन्द्रियाँ होती हैं-आँख, नाक, कान, जीभ और त्वचा। आँख से देखने, नाक से सूँघने, कान से सूनने, जीभ से स्वाद का पता लगाने और त्वचा से महसूस किया जाता है।

आज हम पोस्ट में Name of the body parts शरीर के अंगों के नाम और अंगों के बारे में बताएं।

 

 

 

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