हेलो दोस्तों, हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम इस पोस्ट में बताएंगे कि यूआरएल (URL) क्या है, URL के कितने भाग होते है, यह कैसे कार्य करता है, यह कितने प्रकार का होता है, तो आइए जानते हैं यूआरएल (URL) के बारे में।
इंटरनेट पर वेब एड्रेस किसी विशिष्ट वेब पेज की लोकेशन को पहचानता है। ऐसे वेब एड्रेस (Web Address) को URL कहते है। URL इंटरनेट से जुड़े होस्ट कम्प्यूटर पर जुड़े फाइलों के इंटरनेट एड्रेस को दर्शाते हैं। सामान्य भाषा में बात करे तो जैसे हम पत्र (Letter) पोस्ट करते हैं तो उसके लिए एक निश्चित स्थान जहाँ हमें पत्र प्रेषित करना है, उसका पता होता है और हम उस पते या एड्रेस के आधार पर ही उस पत्र को उस निश्चित स्थान पर पहचानने में सफल है। ठीक उसी प्रकार इंटरनेट की दुनिया में URL कार्य करता है। वह पता की तरह होता है जिसकी मदद से हम एक निश्चित वेबसाइट पर पहुंच पाते हैं।
URL क्या है ? What is URL in Hindi?
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URL का Full Form- Uniform Resource Locator होता है। यह किसी भी वेबसाइट का एक यूनिक एड्रेस होता है। जिसके द्वारा ही इंटरनेट उपयोगकर्ता उस यूनिक पते का प्रयोग कर अपने बांछित स्थान पर पहुंचता है। URL किसी भी वेबसाइट का पूरा एड्रेस होता है जैसे- http://www.google.com/
http: (hyper text transfer protocol)- Protocol Identifier
www -World Wide Web
Google.com.-Domain name
/Services/ -Directories
Index. html- webpage
Html – hyper text markup language
जब हम किसी वेबसाइट को खोलना चाहते हैं तो इसका URL पते के बाक्स में टाइप किया जाता है। यदि इसको टाइप नहीं किया जाता है तो उसे http मान लिया जाता है। हम किसी वेबपेज का पथ उसकी वेबसाइट के URL में जोड़कर उस वेबपेज को सीधे भी खोल सकते हैं।
किसी वेबसाइट का पूरा URL इन सभी भागों के बीच में डाट लगाकर जोड़ने से बनता है। केवल प्रोटोकॉल के नाम के बाद एक फुल कोलन ( : ) और दो फारवर्ड स्लेश (//) लगाये जाते हैं। जैसे-
Http: //www.google.com/services/index
URL के भाग – इसके भाग निम्नलिखित हैं-
1.http – इसके द्वारा हम इन्टरनेट पर डाटा ट्रांसफर करते हैं। किसी भी पेज या फाइल को एक्सेस करने के लिए अधिंकाश वेबसाइटों द्वारा http का उपयोग किया जाता है। http क्लाइंट सर्वर कम्प्यूटिंग माडल में एक अनुरोध प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल है। यह एक एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल है जो कि इन्टरनेट प्रोटोकॉल सूट के ढांचे के अनुसार डिजाइन किया गया है।
2.www – इसका पूरा नाम( World wide Web) वर्ल्ड वाइड वेब है। विशेष रूप में डाक्यूमेंट्स का समर्थन करने वाले इन्टरनेट सर्वर की एक प्रणाली है। इसकी खोज 13 मार्च सन् 1989 में टीम वर्नर ली द्वारा खोजी गई। Document,markup language,html में फार्मेट में होते हैं। इसमें ग्राफिक्स, आडियो, विडिओ फाइलों का समर्थन करता है।
3.Google- यह एक संस्था का नाम है।
4.(.Com)-यह एक डोमेन एक्सटेंशन को बताता है कि आप की वेबसाइट किस प्रकार की है। जैसे- .Com एक कामर्शियल डोमेन है।
डोमेन नेम (Domain name)- डोमेन नेटवर्क,संसाधनों का एक समूह है जिसे उपयोगकर्ता के समूह को आवन्टित किया जाता है। डोमेन नेम इन्टरनेट पर जुड़े हुए कम्प्यूटरों को पहचानने व लगाने के काम में आता है।
डोमेन नेम सदैव अद्वितीय होना चाहिए। इसमें हमेशा डाट (.) द्वारा अलग किए गए दो या दो से अधिक भाग होते हैं। जैसे- google.com,yahoo.com etc डोमेन संगठनों तथा देशों के प्रकार द्वारा व्यवस्थित किए जाते हैं। डोमेन नेम में अन्तिम भाग संगठन या देश के प्रकार को अंकित करता है। जैसे-
.com- commercial संस्थानो के लिए
.Info – सूचना संगठन (information organization)
.gov- सरकारी संस्थाओं के लिए
.Edu – शैक्षणिक (educational) के लिए
.mil -military (सैन्य) संस्थाओं के लिए
.net – network resources ( नेटवर्क संस्थान)
.Org – गैर लाभकारी संगठन
.In – India
.Uk – United kingdom
URL कैसे कार्य करता है –
इन्टरनेट की प्रत्येक वेबसाइट पर एक इन्टरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस ( internet protocol address) होता है जो (न्यूमेरिकल) अंकगणितीय रूप में होता है।जैसे – www.google.com का IP address 64.233.167.99 है। जब हम किसी वेब ब्राउजर में किसी DNS (domain name system) की मदद से वेबसाइट का URL टाइप करते हैं तो वह उसे IP address में बदल देता है और उस वेबसाइट पर पहुंच जाता है जिस पर हम जाना चाहते हैं।
इन्टरनेट के शुरुआत में हम किसी वेबसाइट को डायरेक्टली IP Address द्वारा ही एक्सेस करते थे जो कि इस numeric format को याद रखना कठिन था, पर आगे चलकर DNS नाम बनाये गए। जिससे हम किसी वेबसाइट का नाम आसानी से याद कर सकते हैं। जैसे कि ऊपर IP address 64.233.167.99 के लिए google.comको याद रखना आसान है।
नोट – URL हमेशा case sensitive होते हैं। अतः आपको हमेशा upper case, lower case एवं symbol का विशेष ध्यान रखना होगा।
URL के प्रकार –
URL के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है –
Messy URL – इस URL में बहुत सारे अंक और अक्षर होते हैं। बनाए जाने वाले URL में समान पेज के लिए डोमेन नेम के लिए अधिक संख्या में वेबपेज बनाते हैं। जैसे-
Http://www.google.com/services 806767800
Static URL – स्टैटिक यूआरएल में वेबपेजों कि निर्माण html (hyper text markup language) में होता है। स्टैटिक URL में बदलाव की सुविधा नहीं होती है चाहे, उपयोगिता कुछ भी request भेजे।
Dynamic URL (गतिक यूआरएल)- इस प्रकार के URL में डेटाबेस क्वेरी के end results.होते है जो content output प्रोवाइड करते हैं। किसी भी क्वेरी के result में डायनेमिक यूआरएल में 2,%,+,= जैसे कैरेक्टर आते हैं। इसका प्रयोग कम्प्यूटर द्वारा प्रयोग में लाये जाने वाले वेबसाइट में होता है। कोई भी शापिंग, ट्रेवलिंग वेबसाइट जिसमें उपयोगकर्ता बार -बार क्वेरी बदलते रहते हैं, जिससे कि उत्तर भी बदलते रहते हैं।
नोट – यूआरएल में स्पेस का प्रयोग नहीं होता है लेकिन पता नहीं होना चाहिये कि RFC, 1738 के अनुसार URL के strong (अक्षरों का समूह) में केवल alphanumeric characters और दूसरे characters जैसे – !,&,-+,-,#,* का भी प्रयोग होता है। अगर दूसरे कैरेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है तब उसे encode करना पड़ता है।