आजकल आप लोग इंटरनेट पर कपड़ा, जूता, जैकेट या अन्य कोई भी सामान खरीदते हैं या अपने पूराने मोबाइल या लेपटॉप को बेचने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। क्या आप लोग जानते हैं कि इंटरनेट पर खरीद बेच को क्या कहते हैं? इंटरनेट पर खरीदना या बेचना ही ई-कामर्स कहलाता है। आज हम ई-कामर्स के बारे में बताएंगे। तो आइए जानते हैं ई-कामर्स के बारे में।
ई-कामर्स (E-COMMERCE) क्या होता है ?
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ई-कामर्स यानि इलेक्ट्रॉनिक कामर्स (Electronic Commerce) इंटरनेट पर जैसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर व्यापार करने का एक तरीका है। ई-कामर्स के अन्तर्गत वस्तुओं या सेवाओं को खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे- इंटरनेट के द्वारा होता है। यह इंटरनेट का व्यापार है। ई-कामर्स को व्यापक रूप से इंटरनेट पर उत्पादों की खरीदारी और बिक्री माना जाता है।
वर्तमान समय में ई-कामर्स इंटरनेट के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। ई-कामर्स उपभोक्ताओं को समय या दूरी की बिना कोई बाधाओं के साथ वस्तुओं और सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक रूप से आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है। जैसे-आनलाईन शापिंग, इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट, इंटरनेट बैंकिंग, आनलाईन टिकटिंग आदि।
ई-कामर्स का इतिहास- (History Of E-Commerce):
ई-कामर्स की शुरुआत 1960 के दशक से शुरुआत हुई थी, जब बिजनेस में अन्य कम्पनियों के साथ बिजनेस डाकुमेंट्स को शेयर करने के लिए Electronic Data Interchange (EDI) का प्रयोग शुरू किया।
1979 में अमेरिकन नेशनल स्टैंडर्ड इन्सटीट्यूट ने ASCX12 को इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से डाकुमेंट्स को शेयर करने के लिए व्यवसायों के लिए एक यूनिवर्सल स्टैंडर्ड के रूप में विकसित किया था।
ई-कामर्स के इतिहास को eBay और Amazon के बिना सोचना असम्भव है जो इलेक्ट्रॉनिक ट्रान्जेक्शन को शुरू करने वाली पहली इंटरनेट कम्पनियों में से थे।
1990 के दशक में eBay और Amazon के उदय से ई-कामर्स उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आया। यूजर्स अब किसी भी सामान को ई-कामर्स के माध्यम से खरीद सकते थे।
ई-कामर्स (E-COMMERCE) के क्षेत्र –
E-COMMERCE in electronics– इस समय सबसे अधिक ई-कामर्स का ग्रोथ इलेक्ट्रॉनिक सामानों के क्षेत्र में हो रहा है। हर साल 47% इलेक्ट्रॉनिक सामानों के खरीद और बेच पर अपने आप बढ़ जाता है जिसमें मोबाइल, तरह-तरह के इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स, लेपटॉप, डेस्कटॉप आदि।
E-COMMERCE in Apparels – इलेक्ट्रॉनिक के बाद अब कपड़ों और अन्य सामानों के मामले में आगे बढ़ रहे हैं। अब कपड़ें,जूते, बैग्स आदि सामान भी दुकान से नहीं खरीदते है ।आनलाईन ही खरीदना पसंद करते हैं। हर साल लगभग 33% इस क्षेत्र में बढ़ जाता है। लोग कपड़ें, जूते आदि आनलाईन ही मगाँना शुरू कर दिए हैं।
E-COMMERCE in Business- इ-कामर्स बिजनेस करने का एक सबसे तेज बढ़ाने के लिए तरीका है। इसमें सेल तो बढ़ जाता है लेकिन कास्ट नहीं बढ़ता है। इसमें fast selling goods and services और transmitting funds and data होता है। इसमें electronics funds transfer,fast supply chain management,e-marketing online, transaction, processing, Automated Inventory management system तथा Automated data collection system होता है।
ई-कामर्स (E-COMMERCE) प्रकार-
1.B2B (Business to Business) –
इसमें एक कम्पनी दूसरी कम्पनी के साथ बिजनेस करती है या एक कम्पनी दूसरे कम्पनी को अपना सामान खरीदती या बेचती है। जैसे कि मैनुफैक्चरर होलसेलर को सामान बेचता है और होलसेलर फुटकर विक्रेता को बेचता है।
2.B2C (Business to Consumer)-
इसमें बिजनेस कम्पनी अपना सामान आनलाइन सीधे कन्ज्यूमर या ग्राहक को बेचते हैं। जैसे- Amazon , Flipkart , Myntra आदि।
3.C2C (Consumer to Consumer) – इसमें ग्राहक अपने सामान को आनलाइन दूसरे ग्राहक को बेचता है। C2C बिजनेस माडल कन्ज्यूमर को सामान जैसे कि प्रापर्टी, कार, बाइक, टीवी आदि को बेचने में सहायता करता है। जैसे-OLX, Quiker आदि।
4. C2B (Consumer to Business) –
इसका एक उदाहरण एक कन्ज्यूमर वेबसाइट बनाने के लिए आनलाइन रिक्वायरमेंट देता है और कई कम्पनियां इसके लिए अच्छे साइट बना के देने के लिए आफर करती हैं।
ई-कामर्स (E-COMMERCE) के लाभ- Benefits of E-COMMERCE
1.ई-कामर्स संगठन को बेहतर ग्राहक सेवाएं प्रदान करने में सहायता करता है।
2.ई-कामर्स व्यापार प्रक्रियाओं को सरल ,तेज और कुशल बनाने में मदद करता है।
3.ई-कामर्स उत्पादों की लागत कम करने में मदद करता है, इसलिए कम से कम समृद्ध लोग भी उत्पादों को खरीद सकते हैं।
4.ई-कामर्स कम्पनी की ब्रांड छवि को बेहतर बनाता है।
5.ई-कामर्स का उपयोग करते हुए संगठन न्यूनतम पूंजी निवेश के साथ राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने बिजनेस का विस्तार कर सकता है।
6.ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार वस्तुओं का आर्डर अपने घर पर बैठ कर दे सकते हैं और इनकी डिलिवरी भी अपने घर ही प्राप्त कर सकते हैं।
7.यह कागज आधारित सूचना प्रणाली में होने वाली लागत को कम करता है।
8.दुकान की पहुंच काफी सीमित होती है, जबकि इंटरनेट के माध्यम से बिजनेस दुनिया भर के कन्जयूमर को अपने सामान को बेच सकते हैं।
9.आनलाइन स्टोर पर इलेक्ट्रॉनिक या मोबाइल ट्रान्जेक्शन का उपयोग करते हुए पेमेंट तेज होता है।
ई-कामर्स के नुकसान-
1.आप इंटरनेट पर सामान को देखकर चेक नहीं कर सकते हैं। इसलिए खराब क्वालिटी के सामान भी आपके पास आने का रिस्क रहता है।
2.आनलाइन स्टोर अपने प्रोडक्ट को एक बड़ी संख्या में दिखाते हैं और आनलाइन शापिंग की सुविधा के कारण ग्राहक अनचाहे वस्तुएं भी खरीद लेते हैं।
3.कभी-कभी प्रोडक्ट की डिलीवरी में देरी हो जाती है और इससे ग्राहक को असुविधा के साथ नुकसान भी हो सकता है।
4.आनलाइन प्रोडक्ट खरीदने के लिए आपको पर्सनल डिटेल्स के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड की जानकारी भी देनी पड़ती है।इसलिए कभी-कभी यह इनफार्मेशन चोरी होने का खतरा भी बना रहता है।
आज हमारे देश 119 करोड़ मोबाइल कनेक्शन है। लेकिन 119 करोड़ में से इंटरनेट का जो पेनेट्रेशन है जिसको मोबाइल इंटरनेट पेनेट्रेशन कहते हैं, लगभग 48 करोड़ लोग मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, पर TRAI रीपोर्ट (Telecom Regulatory Authority of India) के हिसाब से अगले 2-3 साल में 48 करोड़ बढ़ के 82 करोड़ के लगभग हो जाएगा। दुनिया भर का एवरेज ग्रोथ जो मोबाइल इंटरनेट पेनेट्रेशन है वो 19% का है और हमारे देश का 90% है। भारत ई-कामर्स के क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है। ई-कामर्स के क्षेत्र में पहले नम्बर पर चीन तथा दूसरे नम्बर पर यूएसए है। कुछ सालों में भारत यूएसए को भी ई-कामर्स के क्षेत्र में पीछे छोड़ देगा।
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