हैलो दोस्तों, हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है। आज हम इस पोस्ट में आधुनिक दुनिया के सात अजूबों के बारे में बताएंगे । दूनिया के सात अजूबे कौन– कौन से हैं ? तो आइए जानते हैं दुनिया के सात अजूबों के बारे में।
आधुनिक युग के सात अजूबे पिछले कई सालों से जाने जाते हैं । ये सात अजूबे पूरी दुनिया के कराये गए एक सर्वे के आधार पर चुने गए हैं, जिनको पूरी दुनिया के लोगों द्वारा इनको आश्चर्य मानते हुए अजूबा माना गया है।
दुनिया के सात अजूबे ( Seven Wonders of the World ) –
Contents
1.ताजमहल Taj Mahal (Agara,India)
2.मसीह उद्धारक Christ the Redeemer Statue (Reo De Janeiro, Brazil)
3.पेट्रा Petra (Jordan)
4.चीन की महान दीवार Great wall of China (China)
5.चीचेन इट्जा Chichen Itza (Maxico)
6.रोमन कोलोसियम Roman Colosseum (Rome)
7.माचू पिच्चु Machu Picchu (Peru)
1.ताजमहल (The Tajmahal) –
ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा है। इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। ताजमहल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है । इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्की, भारतीय, इस्लामिक वास्तुकलाओं के घटकों का अनोखा सम्मेलन है।
सन् 1983 में ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्वधरोहर स्थल बनाया गया। इसके साथ ही इसे विश्वधरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली अतिउत्तम मानवीय कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल के निर्माण में करीब 28 अलग–अलग तरह के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। सन् 1630 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ और करीब 22 साल में पूरा हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसे बनाने में 20 हजार मजदूरों ने योगदान दिया था।
ऐसा कहा जाता है कि शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाने के बाद अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवादिये थे, ताकि कोई और दूसरा इसके जैसा कोई इमारत नहीं बनाया जा सके। ताजमहल को भारत की शान और प्रेम के प्रतीक का चिह्न माना जाता है।
2.मसीह उद्धारक(Christ the Redeemer) –
ब्राजील के रियोडीजेनेरियो में स्थापित इस ईसा मसीह की एक प्रतिमा है जिसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्रतिमा(Statue) माना जाता है। इस प्रतिमा का वजन 635 टन है। यह प्रतिमा अपने 5 मीटर आधार सहित 49.6 मीटर लम्बी और 30 मीटर चौड़ी है। यह प्रति माकंक्रीट और सोप स्टोन से बनी है।
इस मूर्ति का निर्माण 1922 में शुरू हुआ था। इस विशालकाय मूर्ति को बनाने में करीब 9 साल का समय लगा था। इसका उद्घाटन 12 अक्टूबर 1931 को किया गया था।
यह रियो-डीजेनेरियो शहर के तेजुका नेशनल फारेस्ट में 700 मीटर ऊँची को र्कोवाडो की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जहाँ से पूरा शहर दिखाई पड़ता है। इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यूका माना जाता है। इसाई धर्म के एक प्रतीक के रूप में यह प्रतिमा ब्राजील की एक पहचान बन गई।
3.पेट्रा (Petra)-
अरब के रेगिस्तान में कोने में बसा साउथ जार्डन में स्थित पेट्रा एक ऐतिहासिक नगरी है। यह जार्डन के मेथान प्रान्त में स्थित एक ऐसी ऐतिहासिक नगरी है जो अपने पत्थर से तरासी गयी इमारतों और पानी नाली प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है।
माना जाता है कि पेट्रा का निर्माण 1200 ईसा पूर्व के आस– पास शुरू हुआ। इसे छठी शताब्दी ईसा पूर्व में नवातियों ने अपनी राजधानी के तौर पर स्थापित किया था। आधुनिक युग में पेट्रा एक मशहूर पर्यटन स्थल है।
पेट्रा एक होर नामक पहाड़ी की ढ़लान पर बना हुआ है और पहाड़ों से घिरी हुई एक द्रोणी पर स्थित है। यह पहाड़ मृत सागर से अकाबा की खाड़ी से चलने वाली वादी अरबा नामक घाटी की पूर्वी सीमा है। जार्डन में बसे पेट्रा शहर की कला कृति सात अजूबों में शामिल है। यह एक ऐतिहासिक और पुरातात्विक शहर है। इसकी शानदार इंजीनियरिंग उपलब्धियों और अच्छी तरह से संरक्षित आयाम के कारण पेट्रा को पुरातात्विक स्थल जुलाई 2007 में युनेस्को द्वारा दुनिया के सात अजूबों में से चुना गया।
4.चीन की महान दीवार (The Great Wall of China)-
चीन की महान दीवार चीन में स्थित है। ये दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के कई शासकों के द्वारा उत्तरी हमलावरों (मंगोलों) से सुरक्षा के लिए 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 16वीं शताब्दी तक बनवाया गया। चीन की यह दीवार 6400 किमी लम्बी है ।
हालांकि हाल ही के सर्वेक्षण के अनुसार यह दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित 8,851.8 किमी तक फैली हुई है। यह दीवार लगभग 35 फीट ऊंची है और यह इतनी चौड़ी है कि इस पर करीब 15 लोग पैदल एक साथ चल सकते हैं।
चीन की दीवार इतना विशाल है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। इसकी विशालता के कारण यूनेस्को ने 1987 में यह दीवार विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया और आधुनिक युग में भी यह चीन की दीवार सात अजूबों में शामिल है। ऐसा कहा जाता है कि इस महान दीवार के निर्माण परियोजना में लगभग 20 लाख से 30 लाख लोगों ने अपना जीवन त्याग दिया था।
5.चीचेन इट्जा (Chichen Itna) –
चीचेन इट्जा मैक्सिको में स्थित यह एक सबसे पुराना पुरातात्विक स्थलों में से एक है। यह कोलम्बस पूर्व युग में माया सभ्यता द्वारा बनाया गया एक बड़ा शहर था। यह उत्तर शास्त्री से होते हुए अन्तिम शास्त्री में और आरम्भिक उत्तर शास्त्री काल के आरम्भिक भाग में उत्तरी माया के तराई में एक प्रमुख केंद्र था।
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यह चीचेन इट्जा स्थल वास्तु शैलियों के विविध रूपों का प्रदर्शन करता है। चीचेन इट्जा का माया मंदिर 5 किमी में फैला हुआ है। यह पिरामिड की आकृति का है जिसकी ऊँचाई 79 फीट है तथा इसके ऊपर जाने के लिए चारों ओर सीढ़ियाँ बनाई गई है। इसकी हर दिशा में 91 सीढ़ियाँ है तथा पूरा मिलाकर 365 सीढ़ियाँ है।
6.रोमन कोलोसियम (Roman Colosseum) –
रोमन कोलोसियम इटली के रोम नगर के मध्य निर्मित रोमन साम्राज्य का सबसे विशाल एलिप्टिकल एंफी थियेटर है। यह रोमन स्थापत्य और अभियांत्रिकी का सर्वोच्च उत्कृष्ट नमूना है। रोमन कोलोसियम का निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियनने 70वीं से 72वीं इसवी के मध्य में प्रारंभ किया और 80वीं में इसको सम्राट टाइटस के द्वारा पूरा किया गया । 81 और 96 वर्षों के बीच इसमें डोमीशियन के राज में इसमें कुछ और परिवर्तन कराये गये।
कालिसियम को कंक्रीट और रेत से बनाया गया है। यह ओवल शेपकी विशाल आकृति है। प्राचीन काल में यहाँ जानवरों की लड़ाई, खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हुआ करते थे। इसमें 50 हजार से 80 हजार तक लोग एक साथ बैठ सकते थे।
रोमन कालिसियम अपनी विशालता के कारण यह दुनिया के सात अजूबे में शामिल है। आधुनिक युग में युनेस्को द्वारा इसका चयन विश्वधरोहर के रूप में सात अजूबों में शामिल किया गया है।
7.माचु पिच्चु (Machu Picchu )-
माचु पिच्चु दक्षिणी अमेरिकी देश पेरु में स्थित यह एक कोलम्बस पूर्व युग इंका सभ्यता से सम्बन्धित एक ऐतिहासिक स्थल है। माचु पिच्चु का अर्थ होता है ‘पुरानी चोटी‘। यह समुद्र तल से 2430 मीटर की ऊँचाई पर उरुबाम्बा घाटी जिसमें से उरुबाम्बा नदी बहती है, उसके ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है।
यह कुज्को से 80 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है। माचु पिच्चु को इंकाओं का खोया हुआ शहर कहा जाता है। यह इंका साम्राज्य का सबसे प्रचलित प्रतीकों में से एक है, जिसे 7 जुलाई 2007 को माचु पिच्चु को विश्वधरोहर के सात अजूबों में शामिल किया गया है। प्राचीन समय में इसे 1983 में युनेस्को द्वारा विश्वधरोहर में शामिल किया गया था।
माचु पिच्चु को इंकाओं की पुरातन शैली में बनाया गया था जिसमें पॉलिश किए हुए पत्थरों का प्रयोग हुआ । इसके प्राथमिक भवनों में इंती हुआ ताना (सूर्यकामंदिर) और तीन खिड़कियों वाला कक्ष प्रमुख है।
1430 ई० के आस- पास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने शासकों के अधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन 100 साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त करली तो इसे छोड़ दिया गया। बाद में 1911 में एक अमेरिकी इतिहासकार हीरमबिंघम ने इसकी खोज की। तब से आज तक यह एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल आकर्षण बना है।
आज हम इस पोस्ट में दुनिया के सात अजूबे और उनके बारे में बताए। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी और अच्छी लगे तो आप कमेंट और अपने दोस्तों में शेयर जरुर करें ।
बहुत सही जानकारी…..
Wow