डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) क्या है ? एवं इसकी उपयोगिता –

डिजिटल हस्ताक्षर आधुनिक युग की माँग है| आज के युग में सभी चीजो का डिजिटलाइजेंन हो रहा इसमें दस्तावेज़ की सुरक्षा तथा प्रमाणिता को बनाये रखने में डिजिटल हस्ताक्षर की बहुत बङी भुमिका है  डिजिटल हस्ताक्षर सामान्यत: लेनदेन वित्तीय मामलेऔर अन्य दस्तावेजो में  धोखाधड़ी या जालसाजीको पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|

डिजिटल हस्ताक्षर(Digital Signature)क्या है ?

Contents

डिजिटल हस्ताक्षर दो स शब्दों से  मिलकर बना है | डिजिटल +हस्ताक्षर इसमें आप लोग हस्ताक्षर  से भली- भाॉति परिचित होंगे | इसका प्रयोग सामान्यत: अपने पेपर दस्तावेंजो की प्रमाणिकता की स्वीकृति देने के लिए किया जाता है | इसीप्रकार डिजिटल हस्ताक्षर एक अल्गोरिदम पर आधारित है जो संदेस और निजी कुंजी दिए जाने पर सहमती और असहमति को दर्शता है और  आपके दस्तावेज़ो की सुरक्षा को पुख्ता बनाता है|

सामान्य हस्ताक्षर(पेपर हस्ताक्षर) और डिजिटल हस्ताक्षर में अन्तर- 

सामान्य हस्ताक्षर या पेपर हस्ताक्षर को आप किसी दस्तावेज़ से कापी कर सकते है लेकिन आप डिजिटल हस्ताक्षर को कापी नही कर सकते है| डिजिटल हस्ताक्षर में आपको पाइरेसी के लिए एक Private Key और एक Pin मिलता है जो आपके हस्ताक्षर की सुरक्षा मानक को और अधिक सुरक्षित बनाता है|

इसमें Private Key को सृजित किया जाता है तब इसको Compliant Cryptography Token  में रख दिया जाता है इसप्रकार यह सामान्य हस्ताक्षर से अधिक सुरक्षित हो जाता है |

डिजिटल हस्ताक्षर का इतिहास– 

सन् 1976में सर्वप्रथम डिजिटल स्ताक्षर की अवधारणा को विकसित करने में व्हाइटफील डिफी और मार्टिन हेलमैन का था जिन्होंने केवल अनुमान में इस अवधारणा को सोचा था |

इसके कुछ समय के पश्चात रोनाल्ड रिवेस्ट आदि शमीर और लेन एडलमैन ने RSA (Rivest-Shamir -Adleman)  ने RSA अल्गोरिथम का अविष्कार किया जिसका उपयोग  डिजिटल हस्ताक्षर  में किया जा सकता था | यह सादे RSA हस्ताक्षर उतना सुरक्षित नहीं था |सर्वप्रथम लोटस नोट्स 1.0 ने सन् 1989 में सॉफ्टवेयर पैकेज बेचने की पेशकस की जिसमे RSA Algorithm का प्रयोग किया गया था |

RSA के बाद अन्य डिजिटल प्रणालिया विकसित की थी जिनमे प्रमुख थे लेम्पोर्ट स्ताक्षर , मार्कल हस्ताक्षर तथा राबिन हस्ताक्षर  प्रमुख थे |

डिजिटल हस्ताक्षर कैसे काम करता है ?

डिजिटल स्ताक्षर  की  पध्दति  Cryptography तकनीकी पर आधारित है | यह पब्लिक कुजी एल्गोरिथम जैसे RSA का प्रयोग करके दो कुजी सृजित करता है एक Private Key तथा  Public Key ये दोनों कुजिया गणतीय लिंक से जुङे होते है |

डिजिटल हस्ताक्षर बनाने के लिए स्ताक्षरित साफ्टवेयर की  मदद से इलेक्ट्रॉनिक डेटा का One Way Hash(#) बनाया जाता है और  Private Key मदद से हैश (#) को इन्क्रिप्ट किया जाता है इसी  इन्क्रिप्टेड # और उसके संग जुड़े दुसरे इन्फोर्मेशन जैसे  हैसिंग एल्गोरिथम को डिजिटल स्ताक्षर कहा जाता है | यहाँ हम पुरे सन्देश की जगह केवल # को ही इन्क्रिप्ट कर सकते है |

ऐसा इसलिए की हैश फलन की मदद से हम किसी ऑर्बिटरी इनपुट को एक फिक्स लेंथ मान  में बदल सकते है जो आमतौर से छोटा होता है | इससे समय की बचत होती है क्योकि यह हैशिंग सईनिग के मुकाबले बहुत तेज है | # का मान अद्वितीय होता है |यदि हम उसमे # data को देखते है तो उसमे कुछ बदलाव आता है तो उस data मे यहाँ तक कि एक अक्षर का भी अंतर हो तो उसका परिणाम कुछ दूसरा ही दिखायेगा |

यह विशेषता दूसरों को # डिक्रिप्ट करने के लिए  हस्ताक्षरकर्ता  की Public Key का उपयोग करके डाटा की इंटेग्रिटी को वैलिड करने में सक्षम बनता है |इन्क्रिप्टेड # मैच करता है तो यह परिणाम देता है कि डेटा में कोई बदलाव नही हुआ है अगर दोनों डाटा मैच नही करते तो सझना चाहिए कि डेटा में कुछ बदलाव हुआ है और इसपर विश्वास नही किया जा सकता है |

Internet Kya Hai? What is Internet in Hindi ?

डिजिटल हस्ताक्षर एवं कानून-

डिजिटल हस्ताक्षरो को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत एक बैधानिक शक्ति प्रदान करता है इसके पश्चात डिजिटल हस्ताक्षरो  को हस्तलिखित हस्ताक्षरो  के समान स्वीकृत  किया जाता गया |

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उध्देश्यो  की पूर्ति के लिए अधिनियम की धारा -17 के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा  CCA की नियुक्ति की गयी | कार्यलय ने सन् नवबंर 2000 में लागू हो गया | इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल हस्ताक्षरो के उपयोग को  इसके माध्यम से ई-कामर्स तथा ई- गवर्नेंस के विकास में अपना योगदान देना |

धारा(18बी) में RCAI की स्थापना की है |ताकि देश के प्रमाणन प्राधिकरणो की सार्वजनिक कूजियो पर डिजिटल रूप में स्ताक्षर किये जा सके |अधिनियम  के तहत मनको के अनुसार RCAI का संचालन का कार्य किया जाता है अपनी Private Key के उपयोग के द्वारा CCA की Public Key को प्रमाणित करता है |

जिससे साइबर स्पेस में उपयोगकर्ताओं के लिए यह सत्यापित हो सके उक्त जारी प्रमाणपत्र एक बैध CA द्वारा जारी किया जाता है इस उद्देश्य के लिए यह RCAI(रूट सर्टिफाइड अथॉरिटी आफ़ इंडिया ) के कार्यो को संचालित करता है |CCA , NRDC(नेशनल रिपॉजिटरी आफ डिजिटल सर्टिफिकेटस) देख -भाल करता है जिससे देश में जारी समस्त प्रमाणपत्र रखे जाते है |

डिजिटल हस्ताक्षर के उपयोग-

डिजिटल स्ताक्षर के कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित है –

  • प्रमाणिकता के रूप में –

डिजिटल हस्ताक्षरो का  उपयोग संदेशो की प्रमाणिकता को और पुख्ता बनता है जब किसी डिजिटल हस्ताक्षर की गुप्त कुंजी का स्वामित्व किसी बिशिष्ट प्रयोक्ता को प्रेषित करता है तो उसे बैध  हस्ताक्षर का  पता चल जाता है कि उक्त संदेस उस उपयोगकर्ता  द्वारा भेजा गया था | प्रेषक की प्रमाणिकता का विश्वास की उपयोगिता किसी वित्तीय और सरकारी दस्तावेजों के लिए अतिमहत्वपूर्ण है |

  • सत्यनिष्ठता के रूप में –

सत्यनिष्ठता की बात में यह चीजे आती है कि प्रेषक के द्वारा जो सन्देश प्राप्तकर्ता को भेजा गया है उसे प्रेषण प्रक्रिया के दौरान उसमे कोई बदलाव तो नही किया गया है | हालांकि एन्क्रिप्शन संदेस सामग्री को छुपाती है बिना उस एन्क्रिप्टेड संदेस को समझे  उसे बदलना सम्भव हो सकता है फिर भी यदि सन्देश पर डिजिटल हस्ताक्षर किये गये हो तो कोई भी बदलाव हस्ताक्षर को स्वीकार नही करेगा |

  •   गैर परित्यागता के रूप में  –

यदि कोई उपयोगकर्ता ने किसी दस्तावेज मे अपनी डिजिटल स्ताक्षर की है तो बाद में वह इस बात से मुकर नही सकता है ऐसा इसलिए क्योकि किसी भी उपयोगकर्ता के  Public Keys को  इस्तेमाल कर उसे हस्ताक्षर को झुठलाना सम्भव नही है |

 

कुछ महत्वपूर्ण डिजिटल हस्ताक्षर एल्गोरिथम-

  • RSA(Rivest-Shamir-Adleman)-

    यह एक एल्गोरिथम है जिसका उपयोग आधुनिक कंप्यूटर में इन्क्रिप्शन और  डिन्क्रिप्शन संदेशों में होता है | यह एक एसाइमेट्रिक क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिथम है इसमें दो keys होती है एक Public Key क्रिप्टोग्राफिक तथा दूसरी Private Key क्रिप्टोग्राफिक |

  • DSA (Digital Signature Algorithm) –

    डिजिटल स्ताक्षर एल्गोरिथम एक गणितीय संकल्पना पर आधारित एक डिजिटल स्ताक्षर के लिए सांविधिक सूचना प्रक्रिया का मानक है |

  •  ECDSA(Elliptic Curve Digital Signature Algorithm)-

           यह एक Private Key होती है जो गुप्त होती है जिसको केवल Create करने वाला ही जनता है |

  •  E L  Gamal स्ताक्षर-

           RSA के Public Key इन्क्रिप्शन लिए E L Gamal एल्गोरिथम प्रोवाइड करता है

  • राबिन स्ताक्षर एल्गोरिथम-

           यह माइकल ओ राबिन द्वारा सन् 1979 में दिया गया |यह एक डिजिटल स्ताक्षर की एक Method है |

  • PSSA (पाइंटशेवल- स्टर्न स्ताक्षर एल्गोरिथम )– 

           इसको विकसित करने का श्रेय डेविड पाइंटशेवल और स्टर्न को जाता है यह एक डिजिटल स्ताक्षर पर आधारित योजना है जो

           E L  Gamal स्ताक्षर से सम्बंधित है | इसका प्रयोग सुरक्षा सम्बन्धी जाँच कुछ विभिन्न प्रकार के क्रिप्टोग्राफी एल्गोरिथम में किया जाता             है |

  • BLS(Boneh -Lynn-Shacham)-   

        यह एक  क्रिप्टोग्राफी योजना है जो हस्ताक्षरकर्ता को प्रमाणिकता और सत्यता की स्वीकृति देता है |

  •  Schnorrस्ताक्षर एल्गोरिथम– इसको Claus Schnorr द्वारा वर्णित किया गया था |

कुल  स्ताक्षर प्रणाली जो समूहन का समर्थन करती है | यह N उपयोगकर्ताओ से N संदेशो पर N स्ताक्षर के संदर्भ  में यह संभव है |इन सभी स्ताक्षरो को एक स्ताक्षर में एकत्र किया जाय जिसका आकर उपयोगकर्त्ताओं की संख्या में स्थिर है यह एक हस्ताक्षर सत्यापक को विश्वास दिलाता है की वास्तव में N उपयोगकर्त्ताओं ने N संदेशो पर N हस्ताक्षर किया था |

आज आधुनिकता के दौर में डिजिटल स्ताक्षर का प्रयोग बहुत ही जोर-शोर से हो रहा है क्योकि यह स्ताक्षरित संदेशो की वैधता की पहचान को पुख्ता बनता है साथ ही साथ दस्तावेजो की प्रमाणिकता डाटा की सत्यता को भी अधिक सुदॢढ़ बनता है |इसप्रकार यह योजना वर्तमान कल में बहुत ही विश्वासपूर्ण सिद्ध हुई है |

 

Share Karo Na !

Leave a Comment