Operating system-
Operating system के बिना कम्प्यूटर का अपने आप में कोई अस्तित्व नहीं है। बिना इसके कोई भी डिवाइस कार्य नहीं करता है। साधारणतया हम कह सकते हैं कि Operating system एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो अन्य प्रोग्रामों के संचालन कार्य करता है। चूंकि कम्प्यूटर हार्डवेयर हमारी भाषा को नहीं समझता है। यह द्विआधारी (Binary Number) या 0,1 की भाषा या मशीनरी भाषा को समझता है। अतः operating System हार्डवेयर, Application system तथा यूजर्स के बीच एक माध्यम कार्य करता है। Operating system बहुत दक्षता व सरलता के साथ सभी application programs को मैनेज करता है। Operating system का कार्य कम्प्यूटर को चलाना तथा उसे कार्य करने के योग्य रखना व हमारे दिए गए निर्देशों को मशीनी भाषा मे बदलना और पुनः हमारी भाषा में बदलकर एक माध्यम का कार्य करता है। जैसे -MS -DOS, Windows 95, Windows 98, Windows 2000, Windows XP , Windows 7, Windows 8, Windows 10, Unix, Linux, Android OS, IOS आदि।
Operating system के कारण ही प्रयोगकर्ता को कम्प्यूटर के विभिन्न भागों की जानकारी रखने की जरुरत नहीं पड़ती है तथा साथ ही प्रयोगकर्ता अपने सभी कार्य तनाव रहित होकर कर सकता है। यह सिस्टम के साधनों को बाँटता एवं व्यवस्थित करता है। आपरेटिंग सिस्टम के कई अन्य उपयोगी विभाग होते हैं जिनके सुपुर्द कई कार्य केंद्रीय प्रोसेसर द्वारा किये जाते हैं। उदाहरण के लिए- जब प्रिंटिंग का कोई कार्य किया जाता है तो केंद्रीय प्रोसेसर आवश्यक निर्देश देकर वह कार्य आपरेटिंग सिस्टम पर छोड़ देता है और वह स्वयं का अगला कार्य करने लगता है।
कुछ आपरेटिंग सिस्टम निम्न हैं –
1.MS DOS – इसका पूरा नाम माइक्रोसाफ्ट डिस्क आपरेटिंग सिस्टम (Microsoft Disc Operating system ) है।यह माइक्रोसॉफ्ट का प्रथम आपरेटिंग सिस्टम था।यह non graphical Commond operating system था परन्तु यूजर फ्रेन्डली नहीं था इसमें आपको बहुत ज्यादा कमाण्ड याद करने होते थे।यह कमाण्ड पर कार्य करता था।इसका सर्वाधिक लोकप्रिय संस्करण DOS-7.0 था।
2.MS Windows – यह माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित GUI ( Graphical user interface) Operating system है।इसको MS DOS की कमियों को ध्यान में रखकर बनाया गया तथा user friendly बनाया गया।इसके संस्करण window 95,98,2000, Xp,Xp3, window 7 ,8,10 इत्यादि हैं।
3.Unix – इस operating system को सन् 1969 में बनाया गया था। इस आपरेटिंग सिस्टम को programmers और developer के लिए बनाया गया था।इस आपरेटिंग सिस्टम का सर्वर तथा तर्क स्टेशनों में अधिक उपयोग होता है। Unix असेंबली भाषा में सर्वप्रथम लिखा गया था। सन्1973 में इसे ‘C ‘प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखा गया।इसमें Kernal द्वारा डाटा प्रबंधन होता है।यह एक multi user और multip tasking operating systemहै।
4.Linux –सन् 1991 में इसका प्रथम संस्करण लाया गया था।यह आपरेटिंग सिस्टम Unix की तरह है। यह Linux kernel पर आधारित होता है।इसका मुख्यतः उपयोग सर्वर के लिए होता है।यह एक multi user और multi programming operating system है जिसमें एक साथ एक से अधिक यूजर को कम्प्यूटर के हार्डवेयर को एक्सेस कर सकते हैं और इस्तेमाल कर सकते हैं।
Operating system के लेयर –
1.Hardware – इसमें सीपीयू होता है तथा main memory, input और output device इत्यादि सम्मिलित होते है जो आपरेटिंग सिस्टम है वो आपके मेमोरी मे स्टोर होता है इसलिए मेमोरी हार्डवेयर मे आती है। साफ्टवेयर को स्टोर करने के लिए मेमोरी बहुत जरूरी होता है।
2.System software – इसमें आपका आपरेटिंग सिस्टम, साफ्टवेयर का भाग होता है।इसमें process management, routine करना, management routine, input- output को कन्ट्रोल करना इत्यादि आते हैं।
3.Application software- ये ऐसे प्रोग्राम होते हैं जिसमें यूजर द्वारा एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के जरिये अपनी जरूरत के अनुसार उपयोग में लिए जाते हैं।तथा कार्य करने हेतु आपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है।
Operating system के प्रकार– operating system के प्रकार निम्न हैं-
1.Real Time Operating system-
इसका मुख्य कार्य users को तीव्र response time उपलब्ध कराना है।यह मशीनरी, वैज्ञानिक और औद्योगिक उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।इसमें users का कम हस्तक्षेप होता है।तथा एक प्रोग्राम के परिणाम का दूसरे प्रोग्राम में इनपुट डाटा के रूप में प्रयोग होता है।वास्तविक समय आपरेटिंग सिस्टम का यह भी एक हिस्सा होता है एक विशेष आपरेशन एक निश्चित समय में पूरा हो जाए तथा आगे परिणाम में त्रुटि आ जाएगी और परिणाम रुक जाएगा।जैसे-वैज्ञानिक अनुसंधान, उपग्रहों का संचालन।
2.Time Sharing Operating system-
इसमेंuser को एक ही संसाधन द्वारा उपयोग करना होता है।यह operating system विभिन्न users की आवश्यकताओं को संतुलित करता है तथा हर प्रोग्राम जो उपयोग कर रहे हैं पर्याप्त है या नहीं।इस operating system मे मेमोरी का सही प्रबंधन आवश्यक होता है।इसमें प्रत्येक को CPU के बराबर समय मिलता है।
3.Batch Processing Operating system-
इस Operating system में कार्य समूह में होता है।अर्थात operating system जब सारे कार्य समूह में यूजर्स के हस्तक्षेप के बिना प्राथमिकता के आधार करता है तो उस operating system को Batch processing operating system कहते है।जैसे-पैरोल बनाना, बिलिंग आदि।
4.Multi Tasking Operating system-
इस आपरेटिंग सिस्टम में एक ही समय में एक से अधिक कार्य कराए जाते हैं।प्रोसेसर बहुत जल्दी-जल्दी अलग प्रोसेस को समय प्रदान करता है जिसे CPU Scheduling कहते हैं।यह कार्य इतना तेजी से होता है कि यूजर को सभी कार्य एक साथ होते हुए प्रतीत होता है।इसमें Cpu के खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग होता है।
5.Embedded Operating system-
यह एक ऐसा आपरेटिंग सिस्टम है जो किसी electronics व अन्य प्रकार की hardware device में ही उपस्थित रहते हैं।इनका उपयोग घरेलू उपकरण जैसे-microwave oven, washing machine,car management system, traffic control system आदि में किया जाता है।
- Multi processing operating system –
इस प्रकार के आपरेटिंग सिस्टम उन जगहों पर उपयोग किए जाते हैं जहाँ पर एक से अधिक प्रोसेसर सिस्टम से लगे हुए होते हैं।
Distributed Operating system-
डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम आटोनामस कम्प्यूटर के कलेक्शन से मिलकर बना है।यह सिस्टम एक network तथा distribution middle ware के माध्यम से जुड़ा होता है जो कम्प्यूटर को इनकी गतिविधियों के साथ coordinate करने के लिए सक्षम करता है तथा सिस्टम के संसाधनों को शेयर करता है। Distributed computing का लक्ष्य एक single computer के रूप में कार्य करने वाले networks को बनाना है।
Operating system के कार्य –
1.आपरेटिंग सिस्टम विभिन्न प्रकार के नये प्रोग्रामों को संग्रहित करता है।जैसे- M.S.Office, printer,VLC media player, Photoshop, PageMaker इत्यादि।जिसके परिणाम स्वरूप यूजर अपनी आवश्यकता व उपयोग को ध्यान में रखकर कार्य करता है।
- आपरेटिंग सिस्टम द्वारा ही फाइल को बनाना, मिटाना एवं फाइल को एक स्थान से दुसरे स्थान ले जाना तथा फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित किया जाता है।
- आपरेटिंग सिस्टम प्रक्रिया प्रोग्राम एवं आँकड़ों को मेमोरी मे बाँटता है तथा प्रोसेस का प्रारंभ एवं समापन भी करता है।
4.यह यूजर और हार्डवेयर उपागम के बीच माध्यम कार्य करता है।
Operating system की विशेषताएं–
1.कम्प्यूटर से जुड़े सभी उपकरणों का प्रबंधन करता है।जैसे- मोडेम, प्रिन्टर, कीबोर्ड, माउस आदि।
2.आपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर में हार्डवेयर और साफ्टवेयर दोनों को मैनेज करता है।
- आपरेटिंग सिस्टम आपके डाटा को सुरक्षित रखता है।
4.यह वायरस व अन्य खतरों से अवगत कराता है।
5.यूजर्स तथा अन्य प्रोग्राम के बीच समन्वय बनाता है।
6.आपरेटिंग सिस्टम यूजर्स के बहुत सारे कार्यो को करने के लिए उनकी आवश्यकता अनुसार application software को install करने की सुविधा प्रदान करता है।