हैलो दोस्तों, hindipedia.net में आपका स्वागत है। आज हम इस पोस्ट में निफ्टी (Nifty) के बारे में बताएंगे कि निफ्टी क्या है? निफ्टी में शेयरों का चयन कैसे होता है? निफ्टी के फ्युचर्स क्या है? क्या निफ्टी के शेयर बदलते रहते है? तो आइए जानते हैं निफ्टी के बारे में।
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निफ्टी (Nifty) क्या है ? What is Nifty in Hindi ?
निफ्टी इंडेक्स है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है नेशनल और फिफ्टी (National fifty ) । इसे निफ्टी 50 भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 50 शेयर होते हैं और ये 50 शेयर ही मिलकर निफ्टी बनाते है।
यह NSE (National Stock Exchange) का एक महत्वपूर्ण बेंच मार्क इंडेक्स है। NSE पर लिस्टेड निफ्टी (Listed Nifty) 50 प्रमुख शेयरों का इंडेक्स है ।
निफ्टी की चाल से ही बाजार की चाल का पता चलता है । निफ्टी शेयर बाजार में सब से ज्यादा ट्रेड होता है। निफ्टी में 50 शेयर इसलिए होते हैं क्योंकि इंडेक्स में शेयरों की संख्या एक्सचेन्ज तय करता है ।
NSE में 1600 से भी ज्यादा कम्पनियां रजिस्टर्ड हैं जिसमें से निफ्टी में इंडेक्स होने के लिए देश की 50 अलग-अलग सेक्टर की सबसे बड़ी और आर्थिक रूप से मजबूत वाली कम्पनियों को चुना जाता है। जैसे- बैंक, मेटल ,फार्मा कम्पनियां, मिडिया, आई टी (Information Technology) इत्यादि।
निफ्टी में अलग-अलग सेक्टर्स के शेयर होते हैं । कुछ सेक्टर्स में ज्यादा शेयर हो सकते हैं और कुछ सेक्टर में एक भी शेयर नहीं हो सकते हैं। लेकिन एक ही सेक्टर के शेयर नहीं हो सकते हैं जैसे कि मेटल, आइटी, बैंक, फार्मा आदि अलग-अलग कम्पनियां होती है लेकिन कुल मिलाकर निफ्टी में 50 कम्पनियां ही होती है।
निफ्टी (Nifty) का इतिहास-
निफ्टी की शुरुआत अप्रैल 1996 से हुई , लेकिन इसका बेस इयर 1995 था । 12 जून 2000 को निफ्टी 50 पर आधारित इंडेक्स फ्यूचर्स (Index Futures) की शुरुआत हुई । तथा 4 जून 2001 में NSE पर निफ्टी आप्शन्स (Nifty Options) में ट्रेडिंग शुरू हुई ।
सन् 1995 में निफ्टी की जो 50 कम्पनियां थी उसकी बेसवैल्यू 1000 मानी गई थी । हालांकि उस समय निफ्टी में 50 कम्पनियों की बेस वैल्यू 2 लाख करोड़ के आस-पास होती थी। अगर 2 लाख करोड़ रुपये का वैल्यू और 2 लाख करोड़ का इंडेक्स बनाया जाता तो इतने इंडेक्स गिना नहीं जा सकता था।
जब निफ्टी सन् 1995 में बना तो निफ्टी की 50 कम्पनियां मिल कर ही 2 लाख करोड़ रुपये की थी और आज केवल एक कम्पनी TCS (Tata Consultancy Services) 7 लाख करोड़ रुपये की है। उस समय 50 कम्पनियां का मार्केट 2 लाख करोड़ रुपये के आस-पास था, उनको मिलाकर जो इंडेक्स बनाया गया वो बेस वैल्यू 1000 का था। 2005 में जो निफ्टी 1000 की थी वो आज 11000 के आस-पास की है। यानि कि 1995 से 2018 के बीच निफ्टी की वैल्यू करीब 11 गुना बढी़ है।
क्या निफ्टी (Nifty ) के शेयर बदलते रहते है ?
निफ्टी के शेयर समय-समय पर बदलते रहते है। आमतौर पर साल में दो बार निफ्टी की रीबैलेंसिंग की जाती है। इससे मीएनुअली (Manually) भी कहते है। जनवरी और जुलाई में साल में दोबार निफ्टी की री बैलेंसिंग होती है।
यह देखने के लिए रीबैलेंसिंग की जाती है कि क्या निफ्टी में कुछ बदलाव करने की जरुरत है। इसलिए साल में दो बदलाव किए जाते है। जैसे ही ये बदलाव होते है मार्च और सितंबर काम ही ना जो वायदा कारोबार का एक्सपायरी (Expiry) (एक्सपायरी हर महीने के आखिरी गुरुवार को होता है। अगर गुरुवार को छुट्टी हो तो अगले गुरुवार को होता है।)
उसके अगले दिन यानि कि अप्रैल और अक्टूबर महीने की जिस दिन शुरुआत होते हैं उस दिन निफ्टी के बदलाव लागू किये जाते हैं । एक्सचेंज निफ्टी में बदलाव की सूची 4 हफ्ते पहले जारी कर देता है। निफ्टी में निश्चित रूप से बदलाव होते है। शेयर निफ्टी के अन्दर आते भी हैं और बाहर निकलते भी हैं।
निफ्टी (Nifty ) में शेयरों का चयन कैसे होता है ?
- निफ्टी में वही कम्पनी आ सकती है जो भारत की कम्पनी हो । जो कम्पनी भारत में रजिस्टर्ड है वही कम्पनी निफ्टी में आ सकती है। यानि कि NSE(National Stock Exchange) पर लिस्टेड भारतीय कम्पनी का शेयर होना चाहिये।
- निफ्टी 100 इंडेक्स के वायदे कारोबार वाले शेयर निफ्टी 50 में आ सकते हैं। अगर कोई वायदा का रो बार में नहीं है तो वह निफ्टी में नहीं आ सकता है। निफ्टी में जितने ही कारोबार है वह वायदा कारोबार का हिस्सा है।पिछले 6 महीने में 10 करोड़ रुपए के पोर्ट फोलियो की औसत इम्पैक्ट कास्ट 0.5% से कम है।
- निफ्टी की सबसे छोटी कम्पनी के फ्री-फ्लोट मार्केट कैप का 1.5 गुना मार्केट कैप जरूरी होता है। यानि कि अगर 50 कम्पनी है तो उसमें 51 कम्पनी नहीं होगी क्योंकि निफ्टी में 50 ही कम्पनियों का शेयर रहता है तो जिस कम्पनी को निफ्टी में प्रवेश करना है उसे नीचे से 48,49 या 50 नम्बर की कम्पनियों से 1.5 गुना बड़ी होनी चाहिये।
- नयी लिस्टेड कम्पनी को 6 महीने के बजाय 3 महीने तक शर्तें पूरी करनी होती है।पिछले 6 महीने में शेयर रोजाना ट्रेड होना चाहिए। इन क्राइटेरिया को पूरा करने के बाद ही कोई कम्पनी निफ्टी में शामिल हो सकती है।
निफ्टी (Nifty) का फ्युचर्स क्या है ?
फ्युचर्स दो प्रकार के होते है-
इंडेक्स फ्युचर्स और स्टाक फ्युचर्स।
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इंडेक्स फ्युचर्स (Index Futures)–
इंडेक्स फ्युचर्स की वैल्यू इंडेक्स के आधार पर निकलती है।
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स्टाक फ्युचर्स (Stock Futures)–
स्टाक फ्युचर्स की वैल्यू शेयर की कीमत के आधार पर निकलते हैं।
हम बात कर रहे हैं निफ्टी की तो निफ्टी एक इंडेक्स है और इंडेक्स के फ्युचर्स ट्रेंड होते हैं तथा इनमें सौदे भी होते हैं। इस समय मार्केट में सबसे पापुलर या एक्टिव फ्युचर्स निफ्टी है। उसके बाद दूसरे नम्बर पर सबसे पापुलर और एक्टिव फ्युचर्स निफ्टी बैंक है।
उसके बाद थोड़ी बहुत पापुलर टी निफ्टी आइटी में होते हैं। निफ्टी और निफ्टी बैंक में लिक्वि डिटी ज्यादा है। NSE पर लिस्टेड इंडेक्स फ्युचर्स 9 होते हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध और लिक्विड इंडेक्स निफ्टी 50, निफ्टी बैंक और निफ्टी आइटी होता है। सबसे ज्यादा काम निफ्टी और निफ्टी बैंक में होताहै।
निफ्टी में जो 50 कम्पनियां हैं ये पूरी 50 कम्पनियां बाजार में लगभग-लगभग दो तिहाई जो टोटल बाजार का जो वैल्यू है यानि कि 65%-66% वैल्यू सिर्फ इन 50 कम्पनियां का है। हर कम्पनी का वैल्यू अलग-अलग होता है। किसी कम्पनी का वैल्यू अधिक होता है और किसी कम्पनी का वैल्यू कम होता है।
दोस्तों आशा करते है कि निफ्टी क्या है? निफ्टी में शेयरों का चयन किस प्रकार करेगें की पूरी जानकारी मिली होगी । दोस्तों अगर यह पोस्ट अच्छी होगी तो comment करे
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